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कटारमल सूर्य मंदिर: कोणार्क से भी प्राचीन उत्तराखंड का अद्भुत धरोहर

On: November 3, 2025 2:10 PM
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katarmal sun temple

उत्तराखंड की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत अनेक रहस्यमयी और ऐतिहासिक स्थलों से समृद्ध है, जिनमें से एक है कटारमल सूर्य मंदिर। यह मंदिर न केवल उत्तराखंड के लिए, बल्कि समूचे भारतवर्ष के लिए एक ऐतिहासिक और आध्यात्मिक धरोहर है। यह मंदिर कोणार्क के प्रसिद्ध सूर्य मंदिर से भी लगभग दो सौ वर्ष पुराना माना जाता है, जिससे इसकीऐतिहासिक महत्ता और भी बढ़ जाती है। मंदिर की बेजोड़ स्थापत्य और शिल्प कला हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करती है।

स्थान और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

कटारमल सूर्य मंदिर उत्तराखंड के अल्मोड़ा ज़िले में स्थित कटारमल नामक स्थान पर स्थित है, जो समुद्र तल से लगभग 2,116 मीटर की ऊँचाई पर बसा हुआ है। यह स्थान अल्मोड़ा शहर से लगभग 19 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस मंदिर की बेजोड़ स्थापत्य और शिल्प कला हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करती है। यह ऐसा मंदिर है जहाँ साल में 2 बार सूर्य की किरणें गर्भगृह में स्थापित प्रतिमा पर पड़ती हैं। यह अद्भुत दृश्य साल में 22 अक्टूबर और 22 फरवरी के दिन सूर्योदय होने पर देखने को मिलता है। यानी 22 अक्टूबर को जब सूर्य उत्तरायण से दक्षिणायन जाते हैं, तब सूर्य की किरणें प्रतिमा पर पड़ती है और जब दक्षिणायन से उत्तरायण सूर्य जाते हैं, तो 22 फरवरी को सूर्य की किरणें भगवान की प्रतिमा पर पड़ती हैं।  यह इसकी अद्भुत वास्तुकला और ज्योमितीय ज्ञान को दर्शाता है। (Katarmal Sun Temple)

सूर्य उपासना और ‘बड़ आदित्य’ की विशेषता

इस मंदिर को स्थानीय भाषा में “बड़ आदित्य मंदिर” भी कहा जाता है। मंदिर के गर्भगृह में भगवान सूर्य (आदित्य) की मूर्ति स्थापित है, जो आमतौर पर पत्थरया धातु की होने की परंपरा के विपरीत, बड़ (बरगद) के पेड़ की लकड़ी से निर्मित है जिसे गर्भ गृह में ढककर रखा जाता है।

कहा जाता है कि सतयुग में इस क्षेत्र में कालनेमि नामक दैत्य का आतंक था। जो हिमालय की कन्दराओं में रहने वाले ऋषि-मुनियों पर अत्याचार करता था। जिससे मुक्ति पाने के लिए ऋषि मुनियों ने कौशिकी (कोसी नदी) के तट पर आकर सूर्य-देव का आह्वान किया। तब सूर्य देव लोगों की रक्षा के लिए बड़ यानी बरगद में विराजित हुए। तभी लोग उन्हें ‘बड़ आदित्य’ के नाम से जानते हैं। (Katarmal Sun Temple)

निर्माण शैली और वास्तुशिल्प

कटारमलसूर्य मंदिर की स्थापत्य कला नागर शैली पर आधारित है। मुख्य मंदिर त्रिरथ संरचना में बना है, जिसका गर्भगृह वर्गाकार है और उस पर वक्र रेखीय शिखर बना हुआ है। मंदिर के चारों ओर 45 छोटे-बड़े मंदिरों का समूह भी बेजोड़ है, जिनमें अन्य देवताओं की मूर्तियाँ स्थापित थीं।

मंदिर का पूर्वमुखी निर्माण इस प्रकार किया गया है कि साल में दो बार सूर्य की पहली किरण सीधे भगवान आदित्य की मूर्ति पर पड़ती है। मंदिर का प्रवेश द्वार भी सुंदर नक्काशीदार चन्दन की लकड़ी से बना था, जिसे अब सुरक्षा कारणों से दिल्ली स्थित ‘राष्ट्रीय संग्रहालय’ में संरक्षित किया गया है।

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कटारमल मंदिर समूह।

 

इतिहास और निर्माण

ऐतिहासिक दृष्टिकोण से, यह मंदिर कत्यूरी राजवंश द्वारा प्रारंभिक मध्यकाल में निर्मित कराया गया था। ऐसा माना जाता है कि कटारमल देव नामक एक कत्यूरी राजा ने इस मंदिर का निर्माण करवाया। जो उस समय मध्य हिमालय में शासन करते थे। वर्तमान में बागेश्वर जिले के कत्यूर घाटी उनकी राजधानी हुआ करती थी। (Katarmal Sun Temple History)

माना जाता है कि यह मंदिर 9वीं से 11वीं शताब्दी के बीच निर्मित हुआ था। यद्यपि इसके निर्माण की सटीक तिथि पर इतिहासकारों में मतभेद हैं, परंतु इसमें कोई संदेह नहीं कि यह भारत के सबसे प्राचीन सूर्य मंदिरों में से एक है।

पर्यटन और धार्मिक महत्त्व

कटारमल सूर्य मंदिर धार्मिक आस्था और पर्यटन दोनों के लिए एक प्रमुख केंद्र है। यहाँ की प्राकृतिक सुंदरता, पहाड़ियों से घिरे दृश्य और मंदिर की भव्यता पर्यटकों और श्रद्धालुओं को समान रूप से आकर्षित करती है। यहाँ हर साल हजारों लोग भगवान सूर्य की आराधना करने और इस प्राचीन धरोहर को देखने आते हैं।

संरक्षण और महत्व

समय के साथ मंदिर को काफी क्षति पहुँची, विशेषकर प्राकृतिक आपदाओं और मानवीय उपेक्षा के कारण।  हालांकि अब इसे भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा संरक्षित स्मारक घोषित किया गया है और इसके संरक्षण के प्रयास जारी हैं।

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सूर्य मंदिर – कटारमल (अल्मोड़ा)

 

निष्कर्ष

कटारमलसूर्य मंदिर न केवल उत्तराखंड, बल्कि सम्पूर्ण भारत की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहरों में एक अनमोल रत्न है। यह मंदिर न केवल प्राचीन वास्तुकला और शिल्पकला का जीवंत उदाहरण है, बल्कि यह सूर्य उपासना की उस परंपरा को भी जीवित रखे हुए है, जो भारतीय समाज में युगों से चली आ रही है।

कोणार्क से भी प्राचीन इस मंदिर की विशेषता इसकी सरलता में छिपी भव्यता, लोकपरंपरा में गहराई से जुड़ा इतिहास और आज भी शेष बचे उसकी प्राचीन आत्मा में है। यदि आप इतिहास, संस्कृति और आध्यात्मिकता में रुचि रखते हैं, तो कटारमल सूर्य मंदिर अवश्य आपकी यात्रा सूची में होना चाहिए।

Vinod Singh Gariya

ई-कुमाऊँ डॉट कॉम के फाउंडर और डिजिटल कंटेंट क्रिएटर हैं। इस पोर्टल के माध्यम से वे आपको उत्तराखंड के देव-देवालयों, संस्कृति-सभ्यता, कला, संगीत, विभिन्न पर्यटक स्थल, ज्वलन्त मुद्दों, प्रमुख समाचार आदि से रूबरू कराते हैं।

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