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कल्पेश्वर महादेव : ऐसा धाम जहाँ शिव की जटायें पूजी जाती हैं

On: November 3, 2025 4:56 PM
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kalpeshwar mahadev

कल्पेश्वर महादेव, उत्तराखंड में चमोली जनपद के उर्गम घाटी में स्थित भगवान शिव को समर्पित एक प्रसिद्ध मंदिर है। पंच केदार (केदारनाथ, तुंगनाथ, रुद्रनाथ, मध्यमहेश्वर, और कल्पेश्वर) में से एक कल्पेश्वर ही एकमात्र ऐसा मंदिर है जो पूरे वर्ष भक्तों के लिए खुला रहता है। मंदिर की प्रमुख विशेषता है कि यहाँ भगवान शिव की जटाओं की पूजा की जाती है।

कल्पेश्वर मंदिर समुद्र सतह से करीब 7,001 फ़ीट की ऊंचाई पर स्थित है। यहाँ मंदिर के समीप एक कलेवर कुंड है, इस कुंड का पानी सदैव स्वच्छ रहता है और यात्री लोग यहां से जल ग्रहण करते हैं तथा इस पवित्र जल को पी कर अनेक व्याधियों से मुक्ति पाते हैं। यहां साधु लोग भगवान शिव को अर्घ्य देने के लिए इस पवित्र जल का उपयोग करते हैं तथा पूर्व प्रण के अनुसार तपस्या भी करते हैं। तीर्थ यात्री पहाड़ पर स्थित इस मंदिर में पूजा अर्चना करते हैं कल्पेश्वर का रास्ता एक गुफा से होकर जाता है। मंदिर तक पहुंचने के लिए गुफा के अंदर लगभग एक किलोमीटर तक का रास्ता तय करना पड़ता है जहां पहुँचकर तीर्थयात्री भगवान शिव की जटाओं की पूजा करते हैं।

कल्पेश्वर महादेव मंदिर के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी:

  • स्थान: उर्गम घाटी, उत्तराखंड
  • ऊंचाई: समुद्र तल से लगभग 2134 मीटर (7,001 फीट)
  • विशेषता: भगवान शिव की जटाओं की पूजा।
  • पंच केदार: यह पंच केदार यात्रा का पांचवां और अंतिम मंदिर है।
  • खुला रहने का समय: यह मंदिर पूरे साल खुला रहता है।
  • यात्रा मार्ग: मंदिर तक पहुँचने के लिए उर्गम घाटी से होकर जाना पड़ता है।

धार्मिक महत्व:

कल्पेश्वर महादेव (Kalpeshwar Mahadev) मंदिर में भगवान शिव की जटाओं की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि महाभारत के युद्ध के पश्चात जब पांडव अपने पापों से मुक्ति के लिए भगवान शिव की खोज में निकले, तब भगवान शिव उनसे छिपकर कैलाश से केदारखंड (वर्तमान उत्तराखंड) आए। यहां उन्होंने पाँच अलग-अलग स्थानों पर अपने शरीर के विभिन्न अंग प्रकट किए। इन्हीं स्थानों को पंच केदार कहा जाता है। कल्पेश्वर में भगवान शिव की जटाएँ प्रकट हुई थीं।

मंदिर की विशेषताएं:

  1. यह एक गुफा मंदिर है, जिसमें श्रद्धालु झुककर प्रवेश करते हैं।
  2. मंदिर की बनावट प्राचीन शैली की है और यह पत्थरों से निर्मित है।
  3. मंदिर में हर वर्ष विशेष रूप से महाशिवरात्रि और सावन के महीने में बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं।

पर्यावरण और आध्यात्मिकता:

कल्पेश्वर केवल एक धार्मिक स्थल ही नहीं, बल्कि ध्यान और साधना के लिए भी एक शांत और दिव्य स्थान माना जाता है। यहाँ का वातावरण एकाग्रता, मानसिक शांति और आत्मिक अनुभूति के लिए अत्यंत उपयुक्त है।

अन्य जानकारी:

  • कल्पेश्वर महादेव मंदिर, खूबसूरत उर्गम घाटी के स्थित है और यहां एक छोटी नदी, हिरण्यवती बहती है, जो बाद में अलकनंदा नदी में मिल जाती है।
  • मंदिर के पास ही दुर्वासा आश्रम भी है, जो भगवान शिव को समर्पित है।
  • महादेव मंदिर की यात्रा के दौरान, आप पंच केदार यात्रा के अन्य मंदिरों जैसे केदारनाथ, तुंगनाथ, रुद्रनाथ और मध्यमहेश्वर मंदिर भी जा सकते हैं।

स्थान और पहुँच:

कल्पेश्वर मंदिर समुद्र तल से लगभग 2,200 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। यहाँ पहुँचने के लिए सबसे पहले देवप्रयाग, रुद्रप्रयाग, और जोशीमठ होते हुए हेलंग गांव पहुँचना होता है। हेलंग से लगभग 10-12 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर उर्गम घाटी से होते हुए कल्पेश्वर पहुँचा जा सकता है। यह मार्ग सुरम्य प्रकृति, घने जंगलों, और बहती धाराओं से युक्त होता है।

निष्कर्ष:

कल्पेश्वर (Kapleshwar) महादेव मंदिर आध्यात्मिक आस्था, प्राकृतिक सौंदर्य, और पौराणिक महत्व का अद्भुत संगम है। पंच केदार यात्रा का यह अंतिम चरण शिवभक्तों के लिए विशेष महत्त्व रखता है। जो श्रद्धालु यहाँ पहुँचते हैं, उन्हें केवल धार्मिक संतोष ही नहीं बल्कि प्रकृति की गोद में एक अनूठा अनुभव भी प्राप्त होता है।

यहाँ भी पढ़ें : न्याय के देवता ग्वलज्यू के प्रसिद्ध मंदिर और लोक कथा।

Vinod Singh Gariya

ई-कुमाऊँ डॉट कॉम के फाउंडर और डिजिटल कंटेंट क्रिएटर हैं। इस पोर्टल के माध्यम से वे आपको उत्तराखंड के देव-देवालयों, संस्कृति-सभ्यता, कला, संगीत, विभिन्न पर्यटक स्थल, ज्वलन्त मुद्दों, प्रमुख समाचार आदि से रूबरू कराते हैं।

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