Culture

मैती आंदोलन क्या है ? पढ़िये इसकी मुख्य बातें ....

'मैती वृक्ष' को रोपते नवदम्पति।   उत्तराखंड ने सदैव ही प्रकृति और पर्यावरण का सम्मान किया है। उनके संरक्षण और संवर्धन में यहाँ के रह...

गंगा दशहरा 2025: उत्तराखंड में ‘दशौर’ की आस्था और द्वार पत्र की मान्यता

Shri Ganga Dussehra Dwar Patra सृष्टि के निर्माता ब्रह्मा जी के कमंडल से राजा भागीरथ द्वारा देवी गंगा के धरती पर अवतरण दिवस को 'गंगा द...

पिछौड़ा - सुहाग, शुभ और संस्कृति का प्रतीक।

Pichora : अक्सर आपने उत्तराखंड की महिलाओं को विवाह या किसी अन्य मांगलिक कार्यों के अवसर पर गहरे पीले सुनहरे रंग की लाल बूटेदार एक आकर्षक ओढ़न...

परंपरागत जल स्रोतों के संरक्षण के लिए अनूठी पहल।  

धारा-नौला संरक्षण। उत्तराखण्ड के परंपरागत जल स्रोत (Traditional Water Source) हमारे नौले एवं धारे ही हैं। ये यहाँ की संस्कृति और परम्परा मे...

कुमाऊँ की होली में 'चीर बंधन' की विशिष्ट परम्परा।

Tradition of Kumaoni Holi कुमाऊं की होली अपनी विशिष्ट परम्पराओं के लिए जानी जाती है। यहाँ बैठकी होली, खड़ी होली, महिला होली में होली गीतों के...

नथ-पहाड़ी महिलाओं की अमूल्य पूंजी।

Nath : Photo Bhawana Chufal 'पहाड़ी नथ' कहें या 'कुमाउनी नथ', या फिर 'गढ़वाली नथ' यह खूबसूरत आभूषण यहां के महिलाओं की ...

'छोलिया नृत्य' का प्राचीन इतिहास। Choliya Dance

Choliya Dance : उत्तराखंड में सैकड़ों सालों से प्रचलित 'छोलिया नृत्य' ने आकर्षण आज भी नहीं खोया है। अद्भुत छोलिया नृत्य दरअसल युद्ध ...

ऐपण का इतिहास, वैज्ञानिक आधार और महत्व।

ऐपण (Aipan) उत्तराखंड के कुमाऊँ अंचल की पारम्परिक लोक कलाओं में से एक है। मुख्यतः विभिन्न धार्मिक समारोहों और त्यौहारों के अवसर पर बनाये जान...

लोकप्रिय गढ़वाली माँगल गीत के बोल | Mangal Geet

Garhwali Mangal Geet उत्तराखंड अपने प्राकृतिक सौंदर्य, देवस्थलों के अलावा अपने ख़ास परम्पराओं और रीति-रिवाजों के कारण भी प्रसिद्ध है। यहाँ के...

फूलदेई और मेरा बचपन | Phool dei Tyohar 2025

Phool dei Festival 2025 बचपन में 'फूलदेई त्यौहार' की यादें आज भी ताज़ा हैं। जब हमें फूलदेई का बेसब्री से इंतजार रहता था। बसंत ऋतु के ...

शकुनाखर-कुमाऊंनी संस्कृति के शगुन गीत | Shakunakhar

शगुन गीत 'शकुना दे काज ये अति नीका सो रंगीलो, पाटल अंचलि कमलै को फूल सोदी फूल मोलावंत, गणेश, रामीचंद, लछिमन, भरत, चतुर लवकुश जीवा जन्मे’...

मांगल गीत 'दे द्यावा बाबा जी कन्या कु दान' के बोल। | De Dyawa Baba Ji Kanya Ku Dan.

  कितनी समृद्ध है उत्तराखंड की संस्कृति, बोली-भाषा, इसका अहसास हमें तब होता है जब कोई गैर उत्तराखंडी हमारी संस्कृति, हमारी बोली-भाषा को आत...

'पिछौड़ी वूमेन" मंजू टम्टा जी द्वारा डिजाइन की गई कुमाऊं की रंगीली पिछौड़ी।

हमारा पहाड़ आज जिन कठोर संघर्षों के साथ जिस श्रेष्ठ मुकाम पर खड़ा है, वह हमारे लिए अत्यंत गौरवपूर्ण है। किंतु पहाड़ के इस विराट अस्तित्व को ...

हुड़किया बौल और इस दौरान कही जाने वाली एक लोककथा

धान की रोपाई करती पहाड़ की महिलाएं।  |  चित्र - पोथिंग गांव (बागेश्वर पहाड़ के जनजीवन में संस्कृति का खास स्थान रहा है। मेलों और त्योहा...

अनूठी परम्परा-जहाँ देवी नंदा को लगता है 500 ग्राम वजनी हजारों पूड़ियों का भोग।

भगवती मंदिर पोथिंग (बागेश्वर) उत्तराखण्ड  उत्तराखंड में लोग अपनी पुरानी परम्पराओं और धार्मिक रीति-रिवाजों का आज भी निर्वहन कर रहे हैं। ...

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