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नथ-पहाड़ी महिलाओं की अमूल्य पूंजी।

On: November 3, 2025 5:12 PM
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‘पहाड़ी नथ’ कहें या ‘कुमाउनी नथ’, या फिर ‘गढ़वाली नथ’ यह खूबसूरत आभूषण यहां के महिलाओं की पहचान है। जो पहाड़ी महिलाओं का सबसे पसंदीदा आभूषणों में से एक है। किसी खास उत्सव या मांगलिक कार्यों में उत्तराखंडी महिलाओं द्वारा नाक में पहना जाने वाला यह सुन्दर गोल आकार का स्वर्ण आभूषण को स्थानीय भाषा में ‘नथ’ (Nath) के नाम से ही जाना जाता है। इस आभूषण को विवाह के समय मायके या ससुराल पक्ष द्वारा लड़की को भेंट स्वरूप दिया जाता है और इसे सुहागिन महिलायें ताउम्र विभिन्न उत्सवों और समारोहों पर पहनती हैं।

नथ (Nath) को उत्तराखंड में शुभता, मांगल्य, सुहाग, यहाँ की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और परिवार की सम्पन्नता का प्रतीक माना गया है। कहते हैं पुराने जमाने में जो परिवार जितना सम्पन्न होता था उसी हिसाब के उस परिवार की महिलाओं के नथ का वजन और आकार होता था। सम्पन्नता के साथ नथ का आकार और वज़न बढ़ते जाता था। लेकिन बदलते दौर में उत्तराखंड में सोने की वजनदार नथों की परंपरा अब लगभग खत्म हो चुकी है। अब छोटे मध्यम आकार की नथों का प्रचलन है। इनका वजन अधिकतम डेढ़ तोले से दो तोले तक होता है। नथ आज भी उत्सवों में पहने जाना वाला सबसे प्रमुख आभूषण है। (Garhwali and Kumaoni Nath)

नाक में पहनी जाने वाली नथ महिलाओं के चेहरे का सबसे आकर्षक आभूषण माना जाता है। पहाड़ में तकरीबन 20 साल पहले तक सोने की वजनदार नथ पहनी जाती थी। इसका वजन तीन तोला से लेकर पांच तोला तक और गोलाई 35 से 40 से.मी. तक होती थी। प्रत्येक नथ पर सोने का ही एक गोल सितारानुमा चंदक चिपका होता था। जिसमें नग भी होता था। इसे नथ का सौंदर्य बढ़ाने के लिए लगाया जाता था।

Modern Kumaoni Nath

पिछले दो दशकों से नथ के इस पुराने स्वरूप में काफी बदलाव आ गया है। अब नथों की गोलाई कम होकर 15 से.मी. से लेकर 25 से.मी. तक रह गई है। इसी के मुताबिक वजन भी घट गया है। गढ़वाली और मोर प्रणाली की नथों का अधिकतम वजन डेढ़ तोले तक होता है। इसमें एक के बजाए तीन चार तक चंदक लगे होते हैं। इसके साथ ही आधुनिक नथ को लटकन से भी सजाया जाता है। नथों के निर्माण के लिए पहले सोने की पतली छड़ बनाई जाती है। इसके बाद सांचे में ढालकर बनाए गए चंदक, लटकन आदि लगाए जाते हैं। समय और मांग के हिसाब से अब बाजार में अलग-अलग गड़ाई के नथ भी आने लगे हैं।

Garhwali Nath Design

उत्तराखंड में टिहरी गढ़वाल की नथ महिलाओं में सबसे लोकप्रिय है। यह आकार में बड़ी होती है और इसमें बहुमूल्य रूबी और मोती की सजावट होती है। ऐसा माना जाता है कि नथ का इतिहास तब से है जब से टिहरी में राजा रजवाड़ों का राज्य था और राजसी रानियां सोने की नथ को बड़े शौक से पहनती थी। तब से मान्यता रही कि परिवार जितना सम्पन्न होगा महिला की नथ उतनी ही भारी और बड़ी होगी। जैसे-जैसे परिवार में पैसे और धन-धान्य की वृद्धि होती थी नथ का वज़न भी बढ़ता जाता था।

Kumaoni Nath Design

पारम्परिक कुमाऊँनी नथ आठ छोटे-छोटे रत्नों से जड़ित चंदक, किरकी लटकन, दो धारियां, मोती आदि से बनाई जाती है, जिसका वजन 4 से 10 तोला तक होता है। प्रत्येक मांगलिक अवसर पर इसे पहना जाना अनिवार्य माना जाता हैं। लेकिन बदलते समय में महिलायें कम गोलाई वाले नथ को पहनना पसंद कर रही है, जिससे इसका वजन भी कम हो गया है। धीरे-धीरे नथ के डिज़ाइन में भी बदलाव होते आ रहे हैं।

उत्तराखंडी महिलाओं के लिए पारम्परिक नथ आभूषण मात्र नहीं अपितु यह उनकी अमूल्य पूँजी है, जिसको वे पीढ़ी दर पीढ़ी संजोती हैं और उसके साथ जीवित रखती हैं रीति-रिवाज़, मर्यादा, संस्कार और यहाँ की विरासत को।

Vinod Singh Gariya

ई-कुमाऊँ डॉट कॉम के फाउंडर और डिजिटल कंटेंट क्रिएटर हैं। इस पोर्टल के माध्यम से वे आपको उत्तराखंड के देव-देवालयों, संस्कृति-सभ्यता, कला, संगीत, विभिन्न पर्यटक स्थल, ज्वलन्त मुद्दों, प्रमुख समाचार आदि से रूबरू कराते हैं।

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