सृष्टि के निर्माता ब्रह्मा जी के कमंडल से राजा भागीरथ द्वारा देवी गंगा के धरती पर अवतरण दिवस को ‘गंगा दशहरा‘ के नाम से जाना जाता है। जिसे उत्तराखण्ड में ‘दशौर’ भी कहते हैं। प्रतिवर्ष ज्येष्ठ माह में शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाये जाने वाले इस पर्व के दिन लोग विभिन्न गंगा घाटों पर स्नान कर पुण्य लाभ अर्जित करते हैं। (shri ganga dussehra dwar patra)
इस दिन उत्तराखण्ड के पर्वतीय अंचल में दशहरा या दशौर बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। लोग अपने घरों की साफ-सफाई, स्नान कर द्वार पर एक विशेष पत्र को चिपकाते हैं जिसे ‘गंगा दशहरा द्वार पत्र’ कहते हैं। यह पत्र पुरोहितों द्वारा अपने यजमानों को वितरित किये जाते हैं। द्वार पत्र को वितरित किये जाने की यह परम्परा वर्षों से चली आ रही है। जब प्रिंटिंग हेतु सुलभ साधन उपलब्ध नहीं थे तब ये पत्र पुरोहितों द्वारा हाथ से बनाये जाते थे। अभी भी कुछ द्वार पत्र हाथ के बने देखे जा सकते हैं। लेकिन अधिकतर ये पत्र अब प्रिंटेड ही उपलब्ध हैं।
गंगा दशहरा द्वार पत्र की मान्यता
श्री गंगा दशहरा पत्र को द्वार पर चिपकाने के पीछे ऐसी मान्यता है कि इसे लगाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और नकारात्मक शक्तियां घर में प्रवेश नहीं कर पाती है। घर में सुख-समृद्धि आती है। वहीं यह पत्र प्राकृतिक आपदाओं से रक्षा करती है। मान्यता है कि इस पत्र को लगाने से घरों में वज्रपात और अग्नि भय नहीं होता।
गंगा दशहरा द्वार पत्र मंत्र और आकृति
अधिकतर ये पत्र एक वृत्ताकार आकृति के होते हैं जिसके मध्य में गणेश जी, गंगा माता या हनुमान जी या शिव जी की आकृति बनी होती है। बाहर की ओर चारों तरफ वृत्ताकार शैली में संस्कृत में यह मंत्र लिखा होता है-
अगस्त्यश्च पुलस्त्यश्च वैशम्पायन एव च ।
र्जैमिनिश्च सुमन्तुश्च पञ्चैते वज्रवारका:।।
मुनेःकल्याणमित्रस्य जैमिनेश्चाऽनुकीर्तनात् ।
विद्युदग्नि भयं नास्ति लिखितं गृहमण्डले।।
यत्रानुपायी भगवान् दद्यात्ते हरिरीश्वरः।
भङ्गो भवति वज्रस्य तत्र शूलस्य का कथा।।
इसका अर्थ है – अगस्त्य, पुलस्त्य, वैश्भ्पायन, जैमिनी और सुमंत ये
पंचमुनि वज्र से रक्षा करने वाले मुनि हैं। इस वृत्त के चारों ओर अनेक
कमल-दल भी अंकित किये जाते है, जो धन–धान्य और समृद्धि के द्योतक माने जाते
हैं।

गंगा दशहरा पर द्वार पत्र कैसे लगाएं:
- गंगाजल से पवित्र करें: द्वार पत्र को गंगाजल से पवित्र करें।
- मुख्य द्वार पर लगाएं: द्वार पत्र को घर के मुख्य द्वार पर लगाएं।
- पूजा करें: द्वार पत्र की पूजा करें।
- श्लोक पढ़ें: द्वार पत्र पर लिखे श्लोकों को पढ़ें।
क्या हैं दान-पुण्य का महत्व :-
कैसे करें गंगा दशहरा व्रत :-
- गंगा दशहरा का व्रत भगवान विष्णु को खुश करने के लिए किया जाता है।
- इस दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की जाती है।
- इस दिन लोग व्रत करके पानी भी (जल का त्याग करके) छोड़कर इस व्रत को करते हैं।
- ग्यारस (एकादशी) की कथा सुनते हैं और अगले दिन लोग दान-पुण्य करते हैं।
- इस दिन जल का घट दान करके फिर जल पीकर अपना व्रत पूर्ण करते हैं।
- इस दिन दान में केला, नारियल, अनार, सुपारी, खरबूजा, आम, जल भरी सुराई, हाथ का पंखा आदि चीजें भक्त दान करते हैं।
Ganga Dussehra 2025 : इस बार गंगा दशहरा, गुरूवार दिनांक 05 जून 2025 को मनाया जायेगा।
 










