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झुमैलो नृत्य : उत्तराखंड का पारंपरिक लोकनृत्य-गीत।

On: November 4, 2025 9:04 PM
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झुमैलो नृत्य

झुमैलो (Jhumelo) उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र का एक प्राचीन पारंपरिक लोकनृत्य-गीत है, जिसमें महिलायें गोलाकार घेरा बनाते हुए एक-दूसरे के बांहों में बाँह डालकर झूमते हुए लोकगीत गाती हैं। यह नृत्य, नारी हृदय की वेदना और प्रेम को अभिव्यक्त करता है। यह एक सामूहिक नृत्य है, जिसे बिना वाद्ययंत्रों के किया जाता है। 

झुमैलो तुलना संस्कृत साहित्य के जम्भालिका नृत्य-गीत से की जाती है। संस्कृत महाकवि कालिदास की रचनाओं विक्रमोर्वशीय (4-45) और रघुवंशम् (9-35) में भी ‘जम्भालिका’ का उल्लेख मिलता है। इस आधार पर माना जाता है कि झुमैलों की परंपरा अत्यंत प्राचीन है और उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर में इसका विशेष स्थान है।

झुमैलो का आयोजन

डॉ. शिवानंद नौटियाल के अनुसार, झुमैलो नृत्य-गीतों का आयोजन पारंपरिक रूप से वसंत पंचमी से लेकर ‘बिखौती’ (बैसाखी) तक गांव के किसी खुले मैदान में किया जाता है। इसमें गांव की महिलाएँ सामूहिक रूप से भाग लेती हैं।

विशेष रूप से विवाहित बेटियां जब मायके आती हैं तो वे अपनी सहेलियों व रिश्तेदारों संग झुमैलो गीतों के साथ नृत्य करती हैं। वे गोल घेरे में खड़ी होकर हाथों में हाथ डालकर नृत्य करती हैं। नृत्य की विशेषता यह है कि दो कदम आगे बढ़कर कमर को थोड़ा झुकाकर और फिर दो कदम पीछे लौटकर सीधे खड़े होकर लयबद्ध गति से गोल घेरे में घूमना होता है।

गीतों की विशेषताएँ

डॉ. नौटियाल के अनुसार झुमैलों गीतों में गांव की भौगोलिक छवि, प्राकृतिक दृश्यों और मायके की यादों का चित्रण अनिवार्य रूप से होना चाहिए।

झुमैलो गीत और खुदेड़ गीत (Khuder Geet) में एक अंतर है—जहाँ खुदेड़ गीत पूरी तरह से विरह और करुणा से भरे मधुर गीत होते हैं, वहीं झुमैलो गीतों में नृत्य के साथ सिर और शरीर की लहराती हुई गतियाँ होती हैं। प्रत्येक पद्य (अंतरे) का समापन झुमैलो शब्द से किया जाता है, जो इसे विशिष्ट बनाता है।

अन्य लोकधाराओं से समानता

झुमैलो की समानता मैथिली कवि विद्यापति के झूमर तथा भोजपुरी क्षेत्र के झूमर गीतों से भी की जाती है, क्योंकि तीनों ही प्रकार के गीत किसी संदेश को संप्रेषित करने वाले होते हैं। गढ़वाली झुमैलो गीतों में संदेश अक्सर कौवे, भौंरे, घुघती आदि पक्षियों और प्राणियों के माध्यम से भेजे जाते हैं।

कई बार महिलाएँ झुमैलो गाते-गुनगुनाते हुए जंगल में घास काटते समय भी नृत्य करती हैं। यह गीत-संस्कृति केवल मनोरंजन ही नहीं बल्कि सामाजिक और भावनात्मक जुड़ाव का भी प्रतीक है।

झुमैलो गीत Lyrics 

झुमैलो झुमैलो झुमैलो ये………… बाबा
झुमैलो झुमैलो झुमैलो ये…………बोई
गढ़ देशा उत्तरखंड झुमैलो
कुमो-गढ़वाल झुमैलो   
झुमैलो झुमैलो झुमैलो ये………………

खोली को गणेशा झुमैलो
मोरी का नारैण झुमैलो

माँ भगवती गढ़ झुमैलो
नंदा माँ को मैता झुमैलो
झुमैलो  झुमैलो झुमैलो ये………… बाबा
झुमैलो  झुमैलो झुमैलो ये…………बोई
गढ़ देशा उत्तरखंड झुमैलो
कुमो-गढ़वाल  झुमैलो   
झुमैलो झुमैलो झुमैलो ये………………

बद्री नाथ को बद्री धामा झुमैलो
बाबा कैलशा को गामा केदार धाम झुमैलो
लक्ष्मण को झुला झुमैलो
राम का भुला झुला  झुमैलो
झुमैलो झुमैलो झुमैलो ये………… बाबा
झुमैलो  झुमैलो  झुमैलो ये…………बोई
गढ़ देशा उत्तरखंड  झुमैलो
कुमो-गढ़वाल  झुमैलो   
झुमैलो झुमैलो  झुमैलो ये………………

माँ गंगा को घार झुमैलो
भागीरथी को उपकार झुमैला
हरी को द्वार  हरीद्वार झुमैला
पाडी मा भक्तों को उमड़ा झुमैलो
झुमैलो  झुमैलो  झुमैलो ये………… बाबा
झुमैलो  झुमैलो  झुमैलो ये…………बोई
गढ़ देशा उत्तरखंड  झुमैलो
कुमो-गढ़वाल   झुमैलो   
झुमैलो  झुमैलो  झुमैलो ये…………….

अलखनंदा भगीरथी को संगम  झुमैलो
देप्रयाग कर्णप्रयाग  झुमैलो
बाबा नागर जात  झुमैलो
भविष्य बद्री विशाल  झुमैलो
झुमैलो  झुमैलो  झुमैलो ये………… बाबा
झुमैलो  झुमैलो  झुमैलो ये…………बोई
गढ़ देशा उत्तरखंड  झुमैलो
कुमो-गढ़वाल   झुमैलो   
झुमैलो  झुमैलो  झुमैलो ये…………….

सतपुली बाजार  झुमैलो
पुअडी बाजार घुमैलू
अल्मोड़ा की शान  झुमैलो
बिज्मोड़ा का स्थान झुमैला
झुमैलो  झुमैलो  झुमैलो ये………… बाबा
झुमैलो  झुमैलो  झुमैलो ये…………बोई
गढ़ देशा उत्तरखंड  झुमैलो
कुमो-गढ़वाल   झुमैलो   
झुमैलो  झुमैलो  झुमैलो ये…………….

अरशा पकवान  झुमैलो
झुंगर को पंडा  झुमैलो
कुँदा की रोटी कंकरालो घीयु  झुमैलो
भांगा की पकोड़ी घुमैलू
झुमैलो  झुमैलो  झुमैलो ये………… बाबा
झुमैलो  झुमैलो  झुमैलो ये…………बोई
गढ़ देशा उत्तरखंड  झुमैलो
कुमो-गढ़वाल   झुमैलो   
झुमैलो  झुमैलो  झुमैलो ये…………….

टेडा मेडा सड़की झुमैलो
उकालू उन्दारू का बाटा झुमैलो
माटा कूड़ा गढ़ को इतिहस झुमैलो
ऊँचा नीच डंडा झुमैलो
झुमैलो  झुमैलो झुमैलो ये………… बाबा
झुमैलो  झुमैलो  झुमैलो ये…………बोई
गढ़ देशा उत्तरखंड झुमैलो
कुमो-गढ़वाल झुमैलो   
झुमैलो  झुमैलो झुमैलो ये…………….
पंचमी को मेला झुमैलो
गढ़ देशा का बार तीयुहारा झुमैलो
फागुन की बहरा झुमैलो
सुमन को देशा झुमैलो
रामी जशी का गढ़ देशा  झुमैलो

झुमैलो  झुमैलो  झुमैलो ये………… बाबा
झुमैलो  झुमैलो  झुमैलो ये…………बोई
गढ़ देशा उत्तरखंड  झुमैलो
कुमो-गढ़वाल   झुमैलो   
झुमैलो  झुमैलो  झुमैलो ये…………….

Jhumelo Song Lyrics

आई गैने ऋतु बौड़ी दाई जैसो फेरो, हे झुमैलो।
फूली गैन बणू-बीच ग्वीराल-बुरांश, हे झुमैलो।

झपन्याली डाल्यूं माज घुघती घूरली, हे झुमैलो।
गैरी-गैरी गदन्यू मा मेल्वड़ी बासली, हे झुमैलो।

ऊंचि ऊंचि डाल्यू माज कफुआ बासलो, हे झुमैलो।
मौलिगैने भांति-भांति की फुलौर डाली, हे झुमैलो।

गेहूँ जौ की सारी सैरि पिंगली ह्वै गैने, हे झुमैलो।
पुंगड्यू का तीर-ढीस फ्यूलडी फूलिगे, हे झुमैलो।

डांडी-कांठी गुंजी गैने ग्वैरू की मुर्ल्यूंन, हे झुमैलो।
जौंकी बोई होलि बेटि मैतुड़ा बुलाली, हे झुमैलो ।

जौंका भाई होला देला अंगड़ी-टालखी, हे झुमैलो।
मेरी बोइ हून्दी मी तैं मैतुड़ा बुलांदी, हे झुमैलो।

मेरो दादू हून्दो मी तैं ऋतु समलांदो, हे झुमैलो।
बार मास मीकु तई, एकी ऋतु रैगे! हे झुमैलो ।

झुमैलो नृत्य उत्तराखंड की संस्कृति का जीवंत प्रतीक है। इसमें न केवल गीत और नृत्य का समन्वय है, बल्कि इसमें प्रकृति, रिश्तों और यादों की गहरी छाप भी मिलती है। आज भी यह लोकधारा पर्वतीय अंचल की महिलाओं की सामूहिकता और भावनात्मक अभिव्यक्ति का आधार बनी हुई है।

Vinod Singh Gariya

ई-कुमाऊँ डॉट कॉम के फाउंडर और डिजिटल कंटेंट क्रिएटर हैं। इस पोर्टल के माध्यम से वे आपको उत्तराखंड के देव-देवालयों, संस्कृति-सभ्यता, कला, संगीत, विभिन्न पर्यटक स्थल, ज्वलन्त मुद्दों, प्रमुख समाचार आदि से रूबरू कराते हैं।

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