दीपावली और अन्य पर्वों के मद्देनज़र उत्तराखण्ड सरकार ने खाद्य सुरक्षा को लेकर प्रदेशभर में व्यापक अभियान शुरू कर दिया है। स्वास्थ्य सचिव एवं खाद्य संरक्षा आयुक्त डॉ. आर. राजेश कुमार के नेतृत्व में पूरे राज्य में मिलावटी खाद्य पदार्थों के खिलाफ छापेमारी और सैंपलिंग का सिलसिला तेज़ी से जारी है। सरकार का साफ संदेश है — “खाद्य सुरक्षा से कोई समझौता नहीं होगा।”
बुधवार को देहरादून जिले में तड़के 4 बजे से औचक निरीक्षण अभियान चलाया गया। सेलाकुई, विकासनगर, ऋषिकेश और मसूरी क्षेत्रों में खाद्य सुरक्षा अधिकारियों की टीमों ने मिलावटी और अस्वच्छ खाद्य सामग्री के खिलाफ कार्रवाई की।
अभियान के दौरान कई स्थानों से अस्वच्छ परिस्थितियों में वितरित किया जा रहा पनीर जब्त किया गया। लगभग 180 किलो पनीर मौके पर ही नष्ट कराया गया, जबकि 15 खाद्य नमूने जांच हेतु प्रयोगशाला भेजे गए हैं। रिपोर्ट आने के बाद दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
विकासनगर में स्कूटी से ले जाया जा रहा 60 किलो पनीर नष्ट किया गया। वहीं सेलाकुई में होंडा सिटी कार से 120 किलो पनीर ले जाते हुए पकड़ा गया। अधिकारियों ने उसका नमूना लिया और बाकी पनीर को शीशमबाड़ा ट्रेंचिंग ग्राउंड में नष्ट कराया।
खाद्य सुरक्षा अधिकारियों ने देर रात और तड़के तक अभियान जारी रखा ताकि उपभोक्ताओं तक केवल शुद्ध और सुरक्षित खाद्य सामग्री ही पहुँचे।
हरिद्वार जिले में खाद्य संरक्षा विभाग और पुलिस की संयुक्त टीम ने पदार्था क्षेत्र में मिठाई निर्माण इकाइयों पर बड़ी कार्रवाई की। गंदगी और कीचड़ के बीच मिठाई तैयार करते पाए जाने पर दो कुंतल बतीसा मौके पर नष्ट कराया गया।
इसके अलावा फूड लाइसेंस न होने पर एक फैक्ट्री को तत्काल बंद करने के आदेश दिए गए। गुलाब जामुन, रसगुल्ला और बतीसा के नमूने जांच के लिए प्रयोगशाला भेजे गए हैं।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि त्योहारों के दौरान मिलावटखोर सक्रिय हो जाते हैं, लेकिन सरकार किसी को भी नागरिकों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ नहीं करने देगी। उन्होंने निर्देश दिए हैं कि मिलावट की slightest आशंका पर भी तत्काल छापेमारी की जाए।
अपर आयुक्त ताजबर सिंह जग्गी ने बताया कि छापेमारी टीमें सुबह से देर रात तक सक्रिय रहेंगी। उन्होंने कहा कि सरकार का यह सख्त रुख उपभोक्ताओं में भरोसा और सुरक्षा का भाव बढ़ा रहा है।
त्योहारों की रौनक के बीच उत्तराखण्ड सरकार की यह पहल प्रदेशवासियों के स्वास्थ्य की रक्षा की दिशा में एक सराहनीय कदम है। मिलावटखोरों पर शिकंजा कसने से यह संदेश स्पष्ट है कि सरकार शुद्धता और सुरक्षा पर किसी प्रकार का समझौता नहीं करेगी।