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डा० डी. डी. पंत: उत्तराखण्ड के महान वैज्ञानिक, शिक्षाविद, गांधीवादी और जनसेवक

On: October 26, 2025 10:16 PM
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dd pant (Devi Dutt Pant)

उत्तराखण्ड की भूमि केवल प्राकृतिक सौंदर्य और सांस्कृतिक विविधता के लिए ही नहीं, बल्कि अपने महान व्यक्तित्वों के लिए भी जानी जाती है। इन्हीं में एक नाम है डा० देवी दत्त पंत (डी. डी. पंत) , जो एक ख्यातिलब्ध वैज्ञानिक, समाजसेवी, गांधीवादी और राजनेता के रूप में सदैव याद किए जाते हैं।

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

डा० देवी दत्त पंत का जन्म 14 अगस्त, 1919 को पिथौरागढ़ जनपद के गणाईगंगोली क्षेत्र के समीप देवराड़ी पंत नामक गाँव में हुआ। उनके पिता श्री अंबा दत्त पंत एक वैद्य थे। बचपन से ही उनकी बुद्धिमत्ता असाधारण थी। प्रारंभिक शिक्षा के बाद उन्हें हाईस्कूल के लिए कांडा भेजा गया। जब वे 12वीं उत्तीर्ण हुये तो आगे की पढ़ाई के लिए परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी, परंतु नियति ने उनके लिए मार्ग खोला। नेपाल के बैतड़ी क्षेत्र के एक सम्पन्न परिवार से उनके लिए रिश्ता आया, इस शर्त पर विवाह तय हुआ कि ससुराल वाले इन्हें आगे पढ़ाने के लिये आर्थिक मदद करेंगे और विवाह के बाद उन्हें आगे की पढ़ाई के लिए आर्थिक सहायता प्राप्त हुई।

उच्च शिक्षा के लिए पंत जी बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (BHU) पहुँचे। वे वहाँ प्रो. आसुंदी के मार्गदर्शन में शोध कार्य करना चाहते थे, परंतु तत्कालीन कुलपति डा० सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने उन्हें फैलोशिप देने से इंकार कर दिया। निराश हुए बिना वे डा० सी. वी. रमन के पास बंगलुरू चले गये, जहाँ उन्होंने भौतिकी में अनुसंधान कार्य प्रारंभ किया और प्रसिद्ध “पंत रे (Pant Ray)” की खोज की।

वैज्ञानिक और शिक्षक के रूप में योगदान

शोध के बाद भारतीय मौसम विभाग में वैज्ञानिक के रूप में चयनित हुए, लेकिन उनका मन शिक्षण में था। उन्होंने आगरा विश्वविद्यालय में अध्यापन कार्य प्रारंभ किया। बाद में डीएसबी कॉलेज, नैनीताल में भौतिकी विभागाध्यक्ष के रूप में नियुक्त हुए।
यहाँ उन्होंने संसाधनों की कमी के बावजूद प्रयोगशाला की नींव रखी और द्वितीय विश्वयुद्ध के टूटे-फूटे उपकरणों के सहारे टाइम डोमेन स्पेक्ट्रोमीटर का निर्माण किया। यह उनकी वैज्ञानिक जिजीविषा का प्रतीक था।

प्रशासनिक एवं शैक्षणिक नेतृत्व

डा० पंत बाद में उत्तर प्रदेश के शिक्षा निदेशक बने। कुमाऊं विश्वविद्यालय की स्थापना के बाद उन्हें इसका प्रथम कुलपति नियुक्त किया गया। उन्होंने कुमाऊं वि०वि० को स्थापित ही नहीं किया, बल्कि उसकी एक विशेष साख भी स्थापित की।

उनकी आदर्शवादी सोच का उदाहरण तब सामने आया जब तत्कालीन राज्यपाल एम. चेन्नारेड्डी ने अपने ज्योतिषी को मानद उपाधि देने का निर्देश दिया। डा० पंत ने इसे शैक्षणिक मर्यादा के विरुद्ध बताते हुए अस्वीकार कर दिया। जब विवाद बढ़ा, तो उन्होंने इस्तीफा दे दिया। जनता और शिक्षाविदों के विरोध के बाद राज्यपाल को झुकना पड़ा और उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया गया।

राजनीति और उत्तराखण्ड आंदोलन में भूमिका

डा० पंत केवल वैज्ञानिक और शिक्षक ही नहीं, बल्कि समाज के प्रति सजग व्यक्ति भी थे। जब 1970 के दशक के उत्तरार्ध में उत्तराखण्ड राज्य आंदोलन की चेतना उभर रही थी, तब वे भी इसके समर्थक थे।
1979 में जब उत्तराखण्ड क्रान्ति दल (UKD) का गठन हुआ, तो वे इसके संस्थापक अध्यक्ष बने। उन्होंने अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ संसदीय क्षेत्र से लोकसभा चुनाव भी लड़ा। हालांकि चुनाव में पराजित हुए, परंतु उनकी प्रतिबद्धता और ईमानदारी ने उन्हें एक आदर्श जनसेवक के रूप में स्थापित किया।

अंतिम दिन और विरासत

सेवानिवृत्ति के बाद डा० पंत हल्द्वानी में बस गए और वहीं 11 जून, 2008 को उनका निधन हो गया। वे न केवल एक महान वैज्ञानिक थे, बल्कि एक गांधीवादी, आदर्शवादी और निस्वार्थ जनसेवक भी थे।

निष्कर्ष

डा० डी. डी. पंत का जीवन हमारे लिए एक प्रेरणा है। जो हमें यह सिखाता है कि कठिन परिस्थितियों में भी ज्ञान, ईमानदारी और जनसेवा के प्रति निष्ठा से महान कार्य संभव हैं। उन्होंने उत्तराखण्ड और भारत दोनों को शिक्षा, विज्ञान और नैतिक नेतृत्व की जो विरासत दी, वह सदैव स्मरणीय रहेगी।


FAQ सेक्शन (Frequently Asked Questions)

Q1. डॉ. डी. डी. पंत कौन थे?
डा० देवी दत्त पंत (डी. डी. पंत) उत्तराखण्ड के प्रख्यात वैज्ञानिक, शिक्षाविद, समाजसेवी और गांधीवादी विचारक थे। वे कुमाऊं विश्वविद्यालय के पहले कुलपति रहे और उत्तराखण्ड क्रांति दल के संस्थापक अध्यक्ष भी थे।

Q2. डॉ. पंत की प्रमुख वैज्ञानिक उपलब्धि क्या थी?
उन्होंने प्रसिद्ध “पंत रे (Pant Ray)” की खोज की और डीएसबी कॉलेज नैनीताल में फोटोफिजिक्स प्रयोगशाला की स्थापना की।

Q3. डॉ. डी. डी. पंत का जन्म कहाँ हुआ था?
उनका जन्म 14 अगस्त 1919 को पिथौरागढ़ जिले के गणाईगंगोली के पास देवराड़ी पंत गाँव में हुआ था।

Q4. कुमाऊं विश्वविद्यालय में डॉ. पंत का क्या योगदान रहा?
वे कुमाऊं विश्वविद्यालय के प्रथम कुलपति बने और उन्होंने संस्थान को एक उच्च शैक्षणिक पहचान प्रदान की।

Q5. डॉ. पंत का निधन कब हुआ?
डॉ. डी. डी. पंत का निधन 11 जून 2008 को हल्द्वानी में हुआ।

Vinod Singh Gariya

ई-कुमाऊँ डॉट कॉम के फाउंडर और डिजिटल कंटेंट क्रिएटर हैं। इस पोर्टल के माध्यम से वे आपको उत्तराखंड के देव-देवालयों, संस्कृति-सभ्यता, कला, संगीत, विभिन्न पर्यटक स्थल, ज्वलन्त मुद्दों, प्रमुख समाचार आदि से रूबरू कराते हैं।

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