उत्तराखण्ड के कुमाऊँ में माघ माह की प्रथम दिन एक लोक पर्व मनाया जाता है जिसे ‘घुघुतिया त्यार’ के नाम जानते हैं। इस दिन यहाँ एक ख़ास तरह का पकवान बनाया जाता है जिसे घुघुते कहते हैं। आटा, घी और गुड़ के शर्बत से तैयार किये गए इस पकवान को सर्वप्रथम कौओं को खिलाया जाता है। फिर बच्चे इसकी माला बनाकर गले में धारण करते हैं। इस त्यौहार पर घुघुते बनाने के पीछे एक लोककथा है, आईये जानते हैं।
Ghughutiya Festival Story
कुमाऊं में घुघुतिया त्योहार (घुघुत्या त्यार) मनाने के पीछे एक लोककथा प्रचलित है। कहा जाता है कि कुमाऊं के एक राजा के पुत्र को घुघुते (जंगली कबूतर) से बेहद प्रेम था। राजकुमार का घुघुते के लिए प्रेम देख एक कौवा चिढ़ता था। उधर, राजा का सेनापति राजकुमार की हत्या कर राजा की पूरी संपत्ति हड़पना चाहता था। इस मकसद से सेनापति ने एक दिन राजकुमार की हत्या की योजना बनाई। वह राजकुमार को एक जंगल में ले गया और पेड़ से बांध दिया। ये सब उस कौवे ने देख लिया और उसे राजकुमार पर दया आ गई। इसके बाद कौवा तुरंत उस स्थान पर पहुंचा जहां रानी नहा रही थी। उसने रानी का हार उठाया और उस स्थान पर फेंक दिया जहां राजकुमार को बांधा गया था।











