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Dhouli Nag धौलीनाग देवता- हर समस्या के समाधान के लिए इन्हें पुकारा जाता है।

On: October 13, 2025 10:26 PM
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dhaulinag temple
सोते समय माँ को कहते सुना जाता है – ईजा पड़ जा धौलीनाग ज्यू नाम ल्हिबेर। अगर कसम भी खानी हो तो लोगो की जुबान पर धौलीनाग कसम ही आता है। कभी आश्चर्य के भाव पर भी धौलीनाग जी ही स्मरण आते हैं जैसे – हे धौलीनाग इतण लम्ब स्याप … या हे धौलीनाग ज्यू बाग …?
बागेश्वर जिले के खन्तोली गाँव में स्थित यह धौलीनाग देवता का मन्दिर है। यहां के बारे में आप पहले भी सुन पढ़ चुके होंगे। ये खन्तोली के साथ-साथ समस्त इलाके के ईष्टदेव हैं। मान्यता है यहां के हर छोटे-बड़े कार्य सिद्धि के लिये धौलीनाग देव की सहायता ली जाती है। हर समस्या के समाधान के लिये इन्हीं को पुकारा जाता है।

अपने बच्चों के लिये नौकरी, विवाह, मकान आदि कार्य हों बस मुंह से एक ही बात निकलती है लोगों की ‘हे धौलीनाग ज्यू ! कति म्यार च्यालाक द्वि रवाट लगै दिया, मेरी चेलि कैं भलो घर मिल जौ, कति म्यार नानतिननक मुनई लुकूण लैक कर दिया। या फिर हे धौलीनाग ज्यू म्योर च्योल भली के दिल्ली तक पुजै दिया। बाटपन तकैं के दिक्कत झन हौ, म्योर च्योल पास हैजौ, भैंस भलीके ब्यै जौ आदि।  मतलब ये है धौलीनाग जी कण-कण में बसते हैं। लोगो के प्राणों में सांसों में बसते हैं।

आस पास के क्षेत्रों के प्रवासी गाँववासियों का यही मानना है कि हम लोग परदेश में इन्ही के आशीर्वाद से दो रोटी खा रहे हैं।
लोग ब्याह शादी में गाँव आ पाये या नहीं पर साल दो साल में धौलीनाग जी की पूजा के लिये जरूर गाँव आते हैं। यदि खुद ना भी आ पाये तो गाँव किसी के हाथ भेट घाट भेजना नहीं भूलते।
साभार : श्री विनोद पन्त

Vinod Singh Gariya

ई-कुमाऊँ डॉट कॉम के फाउंडर और डिजिटल कंटेंट क्रिएटर हैं। इस पोर्टल के माध्यम से वे आपको उत्तराखंड के देव-देवालयों, संस्कृति-सभ्यता, कला, संगीत, विभिन्न पर्यटक स्थल, ज्वलन्त मुद्दों, प्रमुख समाचार आदि से रूबरू कराते हैं।

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