उत्तराखंड (कुमाऊँ) के 10 प्रसिद्ध होली गीत।

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उत्तराखंड के कुमाऊँ में होली का इतिहास 400 साल से भी अधिक पुराना है। यहाँ बैठकी होली गायन की परंपरा की शुरुवात चम्पावत के चंद राजाओं के महल में 15वीं शताब्दी से बताई जाती है। गायन की यह परम्परा चंद राजाओं के साथ ही पूरे कुमाऊँ में फ़ैल गई। आज भी कुमाऊँ में पौष माह के पहले रविवार से बैठकी होली के रूप में प्रारम्भ हो जाती है, जो मुख्यतः शास्त्रीय संगीत पर आधारित होती हैं। बसंत पंचमी तक आध्यात्मिक बैठकी होली गाई जाती हैं। उसके बाद शिवरात्रि से एक दिन पूर्व तक भक्तिपरक, जिसमें शृंगार रस के होली गीतों का गायन होता है। शिवरात्रि से एकादशी से एक दिन पूर्व हँसी-ठिठोली युक्त गीतों को गाया जाता है। उसके बाद एकादशी तिथि को यहाँ चीर बंधन होता है और इस दिन से रंग पड़ना प्रारम्भ हो जाता है। होल्यार अब घर-घर जाकर खड़ी और बैठकी होली का गायन करते हैं। 

यहाँ हम कुमाऊँ में गाये जाने वाले कुछ प्रसिद्ध होली गीतों के लिरिक्स  (Kumaoni Holi Song Lyrics) आपके लिए प्रस्तुत कर रहे हैं, जिन्हें विभिन्न स्रोतों से संकलित किया गया है। ये होली गीत निम्नवत हैं -

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दरशन दे महामाय अम्बा धन तेरो

दरशन दे महामाय अम्बा धन तेरो।
दरशन दे महामाय अम्बा धन तेरो। । खड़ी बोल।

देवी का थान में ढोलक बाजै 
देवी का थान में ढोलक बाजै। 
डम-डम, डम-डम होय अम्बा धन तेरो ।। दरशन दे महामाय...।।

देवी का थान दमुवां बाजै
देवी का थान दमुवां बाजै। 
डंग-डंग, डंग-डंग होय अम्बा धन तेरो ।। दरशन दे महामाय...।।

देवी का द्वार घंटा बाजै
देवी का द्वार घंटा बाजै।  
घन घन घन घन होय अम्बा धन तेरो ।। दरशन दे महामाय...।।
 
देवी का थान पतरिया नाचै
देवी का थान पतरिया नाचै।
फरहर फरहर होय अम्बा धन तेरो ।। दरशन दे महामाय...।।

देवी का द्वार में दीपक सोहै 
देवी का द्वार में दीपक सोहै। 
जगमग जगमग होय अम्बा धन तेरो ।। दरशन दे महामाय...।।

पिगली माटी गाय को गोबर
पिगली माटी गाय को गोबर।  
चैंका दे हो पुराय अम्बा धन तेरो ।। दरशन दे महामाय...।।

कंचन थाल कपुर की बाती 
कंचन थाल कपुर की बाती। 
आरती दे हो उतार अम्बा धन तेरो ।। दरशन दे महामाय...।।

देवी का थान ढोलक बाजै
देवी का थान ढोलक बाजै।  
डम डम डम डम होय अम्बा धन तेरो ।। दरशन दे महामाय...।।

फागुन मास नया ऋतु आरैै 
फागुन मास नया ऋतु आरैै। 
फुली रयो बनराय अम्बा धन तेरो ।। दरशन दे महामाय...।।


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होली खेलें पशुपतिनाथ मिलकर 

होली खेलें पशुपतिनाथ मिलकर बागा में
ब्रहमा लोक में ब्रहमा जी खेलें ।। दो बोल।।
सरस्वती खेलें साथ मिलकर बागा में, होली खेलें पशुपति नाथ मिलकर बागा में

विष्णु लोक में विष्णु जी खेलें ।। दो बोल।।
कमला खेलें साथ मिलकर बागा में, होली खेलें पशुपति नाथ मिलकर बागा में

कैलाश लोक शिवजी खेलें ।। दो बोल।।
गौरा खेलें साथ मिलकर बागा में, होली खेलें पशुपति नाथ मिलकर बागा में

अयोध्या नगर राम जी खेलें ।। दो बोल।।
सीता खेलें साथ मिलकर बागा में, होली खेलें पशुपति नाथ मिलकर बागा में

बृन्दावन में कन्हैयया खेलें ।। दो बोल।।
राधा खेलें साथ मिलकर बागा में,  होली खेलें पशुपति नाथ मिलकर बागा में

परवत शिखर दुर्गा जी खेलें ।। दो बोल।।
महामाया खेलें साथ मिलकर बागा में, होली खेलें पशुपति नाथ मिलकर बागा में

थलकेदार में शिवजी खेलें ।। दो बोल।।
गौराजी खेलें साथ मिलकर बागा में, होली खेलें पशुपति नाथ मिलकर बागा में

लटेश्वर में लटुवा खेलें ।। दो बोल।।
भुमियां खेलें साथ मिलकर बागा में, होली खेलें पशुपति नाथ मिलकर बागा में

घर घर में हम सब खेलें ।। दो बोल।।
नर नारी खेंलें साथ मिलकर बागा में, होली खेलें पशुपति नाथ मिलकर बागा में


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शिव दरशन दे 

शिव दरशन दे, शिव दरशन दे हो जटाधारी, शिव दरशन दे॥
मन परसन हो शिव परसन हो हो, जटाधारी मन परसन हो॥

पुरब दिशा से चातुर आये
पुरब दिशा से चातुर आये॥
नंगर निशाना संग लाये ॥ शिव दरशन दे ॥

पश्चिम दिशा से चातुर आये 
पश्चिम दिशा से चातुर आये॥
अक्षत चंदन संग लाये ॥ शिव दरशन दे ॥

उत्तर दिशा से चातुर आये 
उत्तर दिशा से चातुर आये॥
अबीर गुलाला संग लाये ॥ शिव दरशन दे ॥

दक्षिण दिशा से चातुर आये 
दक्षिण दिशा से चातुर आये ॥
ढोल नगाड़ा संग लाये ॥ शिव दरशन दे ॥

मन परसन दे, शिव परसन दे हो जटाधारी मन परसन दे॥
शिव दरशन दे, शिव दरशन दे हो जटाधारी, शिव दरशन दे॥


भगीरथ गंगा ले आये

कठिन तपस्या किन्ही भगीरथ, भगीरथ गंगा ले आये
साठ हजार सगर सूत भये है !
मन में गर्व समाय भगीरथ भगीरथ गंगा ले आये।। कठिन तपस्या ।।

हरियो निषाचर यज्ञ को घोडा !
मुनि के द्वार बधाय भगीरथ भगीरथ गंगा ले आये ।। कठिन तपस्या ।।

खोजत खोजत रसातल पहुचे !
घोड़ा यहाँ मिल जाय भगीरथ भगीरथ गंगा ले आये ।। कठिन तपस्या ।।

पीटन लागे तपस्वी मुनि को !
मिलकर के सब भाय भगीरथ भगीरथ गंगा ले आये ।। कठिन तपस्या ।।

टूट्यो ध्यान मुनी श्राप दियो है !
ढेरी राख बनाय भगीरथ भगीरथ गंगा ले आये ।। कठिन तपस्या ।।

जनम लियो तूम सगर कुल में  !
गंगा छोडी लाय भगीरथ भगीरथ गंगा ले आये ।। कठिन तपस्या।।

बार बार कर शिव की तपस्या !
और ब्रहम्मा की जयकार भगीरथ भगीरथ गंगा ले आये कठिन तपस्या ।।

ब्रहम्म कम्ण्डल निकली गंगा !
शिव की जटा मे समाय भगीरथ भगीरथ गंगा ले आये कठिन तपस्या।।

एक बुंद जटा से निकली !
तिन्ही रूप समाय भगीरथ भगीरथ गंगा ले आये ।। कठिन तपस्या ।।

आगे आगे भगीरथ चले है !
पीछे गंगा समाय भगीरथ भगीरथ गंगा ले आये ।। कठिन तपस्या ।।

साठ हजार सगर सूत तारे !
दीने स्वर्ग पठाय भगीरथ भगीरथ गंगा ले आये ।। कठिन तपस्या ।।

भागीरथी गंगा नाम जो लेवे !
कुल तारण हो जाये भगीरथ भगीरथ गंगा ले आये ।।कठिन तपस्या ।।


तुम तो भई तपवान कालिका

तुम तो भई तपवान कालिका कलयुग में अवतार भई !!
हरे हरे पिपल द्वार बिराजै
लाल ध्वजा फहराय कालिका कलयुग में अवतार भई !!तुम तो भई !!

काहे के अक्षत काही की पाती !!
काहे की भेट चढ़ाय कालिका कलयुग मेंअवतार भई !!तुम तो भई !!

साली के अक्षत बेल की पाति
नारियल भेट चढ़ाय कालिका कलयुग में अवतार भई !!तुम तो भई !!

काहे को दीपक काहे की बाती
काहे को धूप चढ़ाय कालिका कलयुग में अवतार भई !!तुम तो भई !!

ताबे को दीपक कपूर की बाती
गोकुल धूप चढ़ाय कालिका कलयुग में अवतार भई !!तुम तो भई !!

काहे को मन्दिर काहे को छत्तर
काहे को कलश चढ़ाय कालिका कलयुग में अवतार भई !!तुम तो भई !!

चांदी को मन्दिर सोने को छत्तर
मोतियन कलश चढ़ाय कालिका कलयुग में अवतार भई !!तुम तो भई !!

हरे हरे पीपल द्वार बिराजै
लाल ध्वजा फहराय कालिका कलयुग में अवतार भई !!तुम तो भई !!

कोई चढ़ावै लडडू पेड़ा !!
कोई चढ़ावै पान कालिका कलयुग में अवतार भई !!तुम तो भई !!

ब्रहमा वेद पडे तेरे ़दवारे
ऋषि मुनि धरत ध्यान कालिका कलयुग में अवतार भई !!तुम तो भई !!

चण्डमुण्ड तेरे साथ चलत है
नागीन है डसवान कालिका कलयुग में अवतार भई !!तुम तो भई !!

खडग खप्पर हाथ में लेकर
किन्हो रक्त को पान कालिका कलयुग में अवतार भइ !!तुम तो भइ !!


तु जननी जग पालन कर्ता !!
सब भक्तों की तुम मात कालिका कलयुग में अवतार भई !!तुम तो भई!!

दास नारायण आस चरण की !!
तुम मेरी मनमान कालिका कलयुग में अवतार भई !!तुम तो भई!!

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हाँ हाँ हाँ मोहन गिरधारी

हाँ हाँ हाँ मोहन गिरधारी॥ हाँ हाँ हाँ मोहन ... ॥ 
ऐसो अनाड़ी चुनर गयो फाड़ी, 
ओ हँसी-हँसी दे गयो गारी, मोहन गिरधारी ॥ हाँ हाँ हाँ मोहन... ॥

चीर चुराय कदम चढ़ी बैठ्यो, 
लुकी-छिपि करत शुमारी, मोहन गिरधारी ।। हाँ हाँ हाँ मोहन... ॥
 
बांह पकड़ मोरी अंगुली मरोड़ी, 
नाहक शोर मचाय, मोहन गिरधारी ॥ हाँ हाँ हाँ मोहन ... ॥ 

हरी-हरी चूड़ियाँ पलंगा पर तोड़ी, नाजुक बइयाँ मरोड़ी,
नाहक शोर मचाय, मोहन गिरधारी ॥ हाँ हाँ हाँ मोहन ... ॥ 

दधि मेरो खाय, मटकी मेरी तोड़ी, 
हँसी-हँसी दे गयो गारी, मोहन गिरधारी ॥ हाँ हाँ हाँ मोहन... ॥

जमुना के तट पर बंसी के बट पर,
अंगियां भिगा गयो सारी, मोहन गिरधारी ॥हाँ हाँ हाँ मोहन .. ॥

आवन कह गए अजहु न आवै, 
झूठी प्रीत लगायी, मोहन गिरधारी ॥ हाँ हाँ हाँ मोहन ... ॥

साँवल रूप अहीर को छोरो,
नैनन की छवि न्यारी, मोहन गिरधारी ॥ हाँ हाँ हाँ मोहन ... ॥



मथुरा में खेलें एक घड़ी

मथुरा में खेलें एक घड़ी
मथुरा में खेलें एक घड़ी - मथुरा में खेलें एक घड़ी।

काहे के हाथ में डमरु बिराजे, काहे के हाथ में लाल छड़ी।
मथुरा में खेलें एक घड़ी।
राधा के हाथ में डमरु बिराजे,कान्हा के हाथ में लाल छड़ी।
मथुरा में खेलें एक घड़ी।

काहे के सिर में मुकुट बिराजे,काहे के सिर में पगड़ी।
मथुरा में खेलें एक घड़ी।
राधा के सिर में मुकुट बिराजे, कान्हा के सिर में पगड़ी।
मथुरा में खेलें एक घड़ी।

काहे के कानन कुण्डल सोहें,काहे के सिर पर मोतियन लड़ी।
मथुरा में खेलें एक घड़ी।
राधा के कानन कुण्डल सोहें,कान्हा के सिर पर मोतियन लड़ी।
मथुरा में खेलें एक घड़ी।

काहे के हाथ में मजीरा सोहै,काहे के हाथ में ताल खड़ी
मथुरा में खेलें एक घड़ी।
राधा के हाथ में मजीरा सोहै,कान्हा के हाथ में ताल खड़ी।
मथुरा में खेलें एक घड़ी।


सजना घर आये कौन दिना

सजना घर आये कौन दिना, सजना घर आये कौन दिना
बलमा घर आये कौन दिना, बलमा घर आये कौन दिना

मेरे बालम के तीन नाम हैं, ब्रह्मा बिष्णु,हरि चरना।
सजना घर आये कौन दिना

मेरे बालम के तीन शहर हैं, दिल्ली, आगरा और पटना।
बलमा घर आये कौन दिना 

अपने बालम के चरण दबाऊँ, तेल मलूँ तन में बेसना।
सजना घर आये कौन दिना

अपने बालम को भोजन खिलाऊँ,षटरस स्वादिष्ट व्यंजना।
बलमा घर आये कौन दिना

अपने बालम की सेज बिछाऊँ,सौड़ा सुफेंद और पलगा।
सजना घर आये कौन दिना

अपने बालम के बाग बगीचे,नीबू, नारंगी और दाड़िमा।
बलमा घर आये कौन दिना


शिव के मन माहि बसे काशी

शिव के मन माहि बसे काशी, 
शिव के मन माहि बसे काशी.....
आधे काशी में वामन बनिया,

आधे काशी में सन्यासी, शिव के मन माहि बसे काशी.

काहे करन को वामन बनिया, 
काहे करन को सन्यासी, शिव के मन माहि बसे काशी.

पूजा करन को वामन बनिया, 
सेवा करन को सन्यासी, शिव के मन माहि बसे काशी....

काहे को पूजे वामन बनिया, 
काहे को पूजे सन्यासी, शिव के मन माहि बसे काशी. 

देवी को पूजे वामन बनिया, शिव को पूजे सन्यासी, 
शिव के मन माहि बसे काशी. 

क्या इच्छा पूजे वामन बनिया, 
क्या इच्छा पूजे सन्यासी, शिव के मन माहि बसे काशी.. 

नव सिद्धि पूजे वामन बनिया, 
अष्ट सिद्धि पूजे सन्यासी, शिव के मन माहि बसे काशी.....


धरती जो बनी है - होली गीत 


धरती बनी है जो अमर कोई
धरती जो बनी है अमर कोई!

नौ लाख तारे गगन बिराजै!
सूरज चले चंदा दोई,
धरती जो बनी है अमर कोई।

नौ लाख गंगा, भू में बिराजै! 
यमुना बहे गंगा दोई, 
धरती जो बनी है अमर कोई।

नौ लाख योधा जंग में बिराजै!
राम भई लछिमन दोई धरती! 
धरती जो बनी है अमर कोई।

धरती जो बनी है अमर कोई।