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Kumaoni Holi Wishes-होली के आशीष वचन ‘अशीक’

On: October 10, 2025 4:10 PM
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kumaoni holi wishes
Kumaoni Holi Wishes: उत्तराखंड के कुमाऊँ मंडल की होली विशेष परम्परा के साथ मनाई जाती है। यहाँ होली शुरू होने के एक महीने पहले से ही बैठकी होली प्रारम्भ हो जाती हैं। पौष माह के पहले रविवार से निर्वाण होली के साथ यहाँ बैठकी होली का शुभारभ होता है। वहीं खड़ी होली की शुरुवात एकादशी के दिन चीर बंधन के साथ होती है। यहाँ चीर बंधन गांव के किसी एक निर्धारित जगह पर सामूहिक रूप से होता है। ग्रामीण इलाकों में इसी दिन से होल्यार होली गाते हुए घर-घर पहुँचने लगते हैं। हर घर तक चीर पहुंचाई जाती है। लोग घर पर आई होली और चीर का स्वागत करते हैं। चीर को अबीर-गुलाल चढ़ाकर उसकी भेंट दी जाती है। सभी होल्यारों को गुलाल लगाकर परिवार के सदस्य गले मिलते हैं।   
 
होल्यारों को गुड़ की भेली देने का यहाँ एक अनोखा रिवाज है। जिस घर पर होली जाएगी वहां हर घर अनिवार्य रूप से गुड़ की भेली देता है और इस गुड़ की भेली के छोटी-छोटी डली बनाकर होल्यारों में वितरित की जाती हैं। 
 
होली के घर से प्रस्थान करने से पहले उस घर को होली के आशीष वचन (Kumaoni Holi Wishes) देने की प्राचीन परम्परा है। उस घर सभी जनों को लाख वर्ष तक जीते रहने के आशीर्वचन दिए जाते हैं। एक निर्धारित व्यक्ति द्वारा आशीर्वचन की बानगी दी जाती है, उसके साथ दो व्यक्तियों का समूह ‘हो हो हो होलक रे’ कहकर आशीर्वचन उस घर को समर्पित करते हैं।
 

कुमाऊँ में होली के आशीष वचन इस प्रकार हैं –

गावैं खेलैं देवैं आशीष – हो हो हो होलक रे 
बरष दिवाली, बरषै फाग  – हो हो हो होलक रे 
हो हो हो होलक रे – हो हो हो होलक रे 
 
जो नर जीवैं, खेलैं फाग – हो हो हो होलक रे  
आज को बसंत खेलैं फाग – हो हो हो होलक रे 
 
गावैं खेलैं देवैं आशीष – हो हो हो होलक रे 
पैली बासो कू कू करा  – हो हो हो होलक रे 
 
आई बसंत सुनो सखा -हो हो हो होलक रे 
यो बसंत कैका घरा – हो हो हो होलक रे 
 
आयी बसन्त श्री कृष्ण जी के घरा – हो हो हो होलक रे 
आई बसन्त गौं का भूमियां – हो हो हो होलक रे 
हो हो हो होलक रे – हो हो हो होलक रे 
 
यौ गौं का भूमियां जीरौ लाख बरीष – हो हो हो होलक रे 
यौ गौं का पधान जीरौ लाख बरीष – हो हो हो होलक रे 
 
यौ घर का पुरुख जीरौ लाख बरीष – हो हो हो होलक रे 
बरष दिवाली, बरषै फाग  – हो हो हो होलक रे 
हो हो हो होलक रे -हो हो हो होलक रे 
 
आज को बसंत कैका घरा – हो हो हो होलक रे 
आज को बसंत (अमुक नाम व्यक्ति) के घरा – हो हो हो होलक रे 
इनरा घर की पधानी जीरौ लाख बरीष – हो हो हो होलक रे 
 
इनरा नान्तिना, बाल गोपाल जीरौ लाख बरीष – हो हो हो होलक रे 
इनरा गाजि, बाकरा जीरौ लाख बरीष – हो हो हो होलक रे 
 
बरष दिवाली, बरषै फाग  – हो हो हो होलक रे 
हो हो हो होलक रे – हो हो हो होलक रे 

 

कुमाउनी भक्तिमय होली गीत – तुम सिद्धि करो महाराज, होलिन के दिन में। 

कुमाउनी भक्तिमय होली गीत – हरि खेल रहे देवा तेरे द्वारे में। 

 

Vinod Singh Gariya

ई-कुमाऊँ डॉट कॉम के फाउंडर और डिजिटल कंटेंट क्रिएटर हैं। इस पोर्टल के माध्यम से वे आपको उत्तराखंड के देव-देवालयों, संस्कृति-सभ्यता, कला, संगीत, विभिन्न पर्यटक स्थल, ज्वलन्त मुद्दों, प्रमुख समाचार आदि से रूबरू कराते हैं।

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