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उत्तराखंड मेरी मातृभूमि गीत | Lyrics-Uttarakhand Meri Matri Bhumi

On: October 13, 2025 8:51 PM
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उत्तराखण्ड मेरी मातृभूमि

उत्तराखंड मेरी मातृभूमि, मातृभूमि यो मेरी पितृभूमि, ओ भूमि तेरी जय-जयकारा म्यर हिमाला– प्रस्तुत कविता / गीत/ वंदना बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी स्वर्गीय गिरीश चंद्र तिवाड़ी जिन्हें लोग प्यार से ‘गिर्दा’  के नाम से जानते हैं, द्वारा रचित है। इन पंक्तियों के माध्यम से उन्होंने खूबसूरत पर्वतीय प्रदेश उत्तराखंड का बखान किया है।

इस गीत के माध्यम से उन्होंने अपनी मातृ और पितृ भूमि उत्तराखंड की जयजयकार की है। उन्होंने उत्तराखंड का बखान करते हुए कहा है तेरे सिर मुकुट में हिम से भरा हिमालय झलकता है और नदियों में गंगा की धारा बहती है। तेरे नीचे उपजाऊ मैदानी भाग जिसे तराई के नाम से जानते हैं वहीं उसी के ऊपर का भाग भाबर है। बद्री और केदार के धाम यहीं है और कनखल और हरिद्वार जैसे पवित्र स्थान भी आपकी ही गोद में विद्यमान हैं।

काली और धौली गंगा का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा है- हे मेरी मातृ और पितृ भूमि ! यहीं से आप पवित्र छोटे और बड़े कैलाश तक लोगों को मार्ग देते हो। आपके घर में ही देवी पार्वती का मायका है और भगवान शिव का ससुराल भी। मैं धन्य हूँ कि जो मेरा जन्म आपकी इस महान कोख से हुआ। मैं मरना भी इसी भूमि में चाहूंगा ताकि मैं सांसारिक बंधनों से मुक्त हो जाऊंगा। हे मेरी मातृ और पितृ भूमि उत्तराखंड ! आपकी जय जयकार हो। जय जयकार हो।

 

 

गीत के लिरिक्स

उत्तराखंड मेरी मातृभूमि, मातृभूमि यो मेरी पितृभूमि ,
ओ भूमि तेरी जय-जयकारा… म्यर हिमाला।
ख्वार मुकुटो तेरो ह्युं झलको, ख्वार मुकुटो तेरो ह्युं झलको,
छलकी गाड़ गंगा की धारा… म्यर हिमाला।
तली-तली तराई कुनि, तली-तली तराई कुनि,
ओ कुनि मली-मली भाभरा …म्यर हिमाला।
बद्री केदारा का द्वार छाना, बद्री केदारा का द्वार छाना,
म्यरा कनखल हरिद्वारा… म्यर हिमाला।
काली धौली का बलि छाना जानी, काली धौली का बलि छाना जानी,
वी बाटा नान ठुला कैलाशा… म्यर हिमाला।
पार्वती को मेरो मैत ये छा, पार्वती को मेरो मैत ये छा,
ओ यां छौ शिवज्यू कौ सौरासा…म्यर हिमाला।
धन मयेड़ी  मेरो यां जनमा, धन मयेड़ी  मेरो यां जनमा ….
ओ भयो तेरी कोखि महान… म्यर हिमाला।
मरी जूंलो तो तरी जूंल, मरी जूंलो तो तरी जूंलो…
ओ ईजू ऐल त्यार बाना… म्यर हिमाला।
uttarakhand-meri-matribhumi-lyrics

 

Lyrics in English-

Uttarakhand Meri Matri Bhumi, Matri Bhumi O Meri Pitri Bhumi
O Bhumi Teri Jai-Jaikara.. Myar Himala….
Khwar Mukut Tero Hyu Jhalako….
Chhalaki Gaad Ganga Ki Dhara…. Myar Himala…..
Tali Tali Taraai Kuni …Tali Tali Taraai Kuni …
O Kuni Mali-Mali Bhabara…. Myar Himala…
Badri Kedara Ka Dwara Chhana…
Myara Kankhala Haridwara…. Myar Himala…
Kali Dhauli Ka Bali Chhana Jani….
We Bata Naan Thula Kailasha… Myar Himala…
Parbati ko Myar Mait Yan Chhou….
O Yain Chho…. Shiv Jyu Kou Saurasa… Myar Himala…
Dhan Mayedi Yo Janam….
Bhayo Teri Kokhi Mahaana…. Myar Himala…..
Mari Juno… To Taari Juno…
O Iju Aele Tera Bana… Myar Himala..

यह थे उत्तराखंड के एक समूह गान ‘उत्तराखंड मेरी मातृभूमि गीत’ के बोल। जो पूरे उत्तराखंड को एक सूत्र में पिरोता है।

Vinod Singh Gariya

ई-कुमाऊँ डॉट कॉम के फाउंडर और डिजिटल कंटेंट क्रिएटर हैं। इस पोर्टल के माध्यम से वे आपको उत्तराखंड के देव-देवालयों, संस्कृति-सभ्यता, कला, संगीत, विभिन्न पर्यटक स्थल, ज्वलन्त मुद्दों, प्रमुख समाचार आदि से रूबरू कराते हैं।

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