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नमो भगवती माँ सरस्वती (Namo Bhagwati Maa Saraswati ) गढ़वाली बोली-भाषा में रचित यह सरस्वती वंदना उत्तराखंड के विभिन्न विद्यालयों में हर दिन प्रातः बच्चों द्वारा विद्या की देवी माँ सरस्वती की स्तुति के लिए गायी जाती है। जहाँ प्रातः ही इस प्रकार की मंत्रमुग्ध कर देने वाली प्रार्थना से शुरुवात हो जाती है वहां पढ़ाई का माहौल स्वतः ही बन जाता है। 


नमो भगवती माँ सरस्वती-गढ़वाली सरस्वती वंदना के लिरिक्स इस प्रकार हैं -

   

 नमो भगवती मां सरस्वती
यनू ज्ञान कू भंडार दे,
 पढ़ी- लिखीं हम अग्नै बढ़ जऊं
 श्रेष्ठ बुद्धि अपार दे।
नमो भगवती मां सरस्वती......

कर सकूं हम  मनुज सेवा 
बुद्धि  दे विस्तार दे
जाति धर्म से ऐंच हो हम 
मां यनु व्यवहार दे।
अज्ञानता का कांडा काटी 
ज्ञान की फुलारी दे।
पढ़ी-लिखीं हम अग्नै बढ़ जाऊं
श्रेष्ठ बुद्धि अपार दे।
नमो भगवती मां सरस्वती......

जिकुड़ा माया, कठोर काया
मन म सुच्चा विचार  दे,
क्षमा, दया मन मा 
बड़ों का आदर सत्कार दे।
हे हंस वाहिनी सरस्वती
भव सिंधु पार उतार दे।
पढ़ी-लिखी हम अग्नै बढ़ जऊं
श्रेष्ठ बुद्धि अपार दे।
नमो भगवती माँ  सरस्वती......

दुर्व्यसनु का दैंत माता खैंचणा चौंदिशु बिटी।
यानी दे बुद्धि, ताकत हमू तै
आव न जू रिंगी रिटी।
हे कमलआशनी, वीणा वादिनी प्रेम कू संसार दे।
 पढ़ी-लिखी हम अग्नै बढ़ जऊं श्रेष्ठ बुद्धि अपार दे।
नमो भगवती मां सरस्वती......

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