उत्तराखंड मेरी मातृभूमि, मातृभूमि यो मेरी पितृभूमि, ओ भूमि तेरी जय-जयकारा म्यर हिमाला। प्रस्तुत कविता / गीत/ वंदना बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी स्वर्गीय गिरीश चंद्र तिवाड़ी जिन्हें लोग प्यार से 'गिर्दा' के नाम से जानते हैं, द्वारा रचित है। इन पंक्तियों के माध्यम से उन्होंने खूबसूरत पर्वतीय प्रदेश उत्तराखंड का बखान किया है।
इस गीत के माध्यम से उन्होंने अपनी मातृ और पितृ भूमि उत्तराखंड की जयजयकार की है। उन्होंने उत्तराखंड का बखान करते हुए कहा है तेरे सिर मुकुट में हिम से भरा हिमालय झलकता है और नदियों में गंगा की धारा बहती है। तेरे नीचे उपजाऊ मैदानी भाग जिसे तराई के नाम से जानते हैं वहीं उसी के ऊपर का भाग भाबर है। बद्री और केदार के धाम यहीं है और कनखल और हरिद्वार जैसे पवित्र स्थान भी आपकी ही गोद में विद्यमान हैं।
काली और धौली गंगा का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा है- हे मेरी मातृ और पितृ भूमि ! यहीं से आप पवित्र छोटे और बड़े कैलाश तक लोगों को मार्ग देते हो। आपके घर में ही देवी पार्वती का मायका है और भगवान शिव का ससुराल भी। मैं धन्य हूँ कि जो मेरा जन्म आपकी इस महान कोख से हुआ। मैं मरना भी इसी भूमि में चाहूंगा ताकि मैं सांसारिक बंधनों से मुक्त हो जाऊंगा।
हे मेरी मातृ और पितृ भूमि उत्तराखंड ! आपकी जय जयकार हो। जय जयकार हो।
उत्तराखंड मेरी मातृभूमि गीत के लिरिक्स इस प्रकार हैं -
ओ भूमि तेरी जय-जयकारा... म्यर हिमाला।
ओ कुनि मली-मली भाभरा ...म्यर हिमाला।
म्यरा कनखल हरिद्वारा... म्यर हिमाला।
वी बाटा नान ठुला कैलाशा... म्यर हिमाला।
ओ यां छौ शिवज्यू कौ सौरासा...म्यर हिमाला।
ओ भयो तेरी कोखि महान... म्यर हिमाला।
ओ ईजू ऐल त्यार बाना… म्यर हिमाला।
Uttarakhand Meri Matribhumi Song Lyrics-
Khwar Mukut Tero Hyu Jhalako....
Chhalaki Gaad Ganga Ki Dhara.... Myar Himala.....
O Kuni Mali-Mali Bhabara.... Myar Himala...
Myara Kankhala Haridwara.... Myar Himala...
We Bata Naan Thula Kailasha... Myar Himala...
O Yain Chho.... Shiv Jyu Kou Saurasa... Myar Himala...
Bhayo Teri Kokhi Mahaana.... Myar Himala.....
O Iju Aele Tera Bana... Myar Himala..