गीत के बोल
गीत का सार और भावार्थ:
मातृभूमि के प्रति अगाध प्रेम:
गीत की पहली पंक्ति "हो जन्म दुबारा तो भारत वतन मिले" यह दर्शाती है कि भारतवासी के लिए यह देश केवल जन्मभूमि नहीं, बल्कि एक संस्कार भूमि है। जन्म का उद्देश्य भी तभी सार्थक है जब वह भारत में हो।
प्राकृतिक सौंदर्य की प्रशंसा:
"फिर से वही हिमालय गंगो चमन मिले..." — गीतकार ने हिमालय, गंगा और फूलों के चमन के माध्यम से भारत की प्राकृतिक गरिमा और आध्यात्मिक पहचान को चित्रित किया है।
मिट्टी और जल की महिमा:
"है धूल इसकी चंदन, अमृत है इसका जल..." — यह पंक्ति बताती है कि यहाँ की मिट्टी चंदन जैसी पवित्र है और जल अमृत तुल्य है।
ऐतिहासिक और वीर परंपराओं की झलक:
"इतिहास का हो गौरव, वो आन-बान हो..." — भारत के इतिहास की शौर्य गाथाओं और बलिदानी परंपरा को सम्मानित करते हुए यह भाव आता है कि आने वाला जन्म भी इन्हीं मूल्यों से युक्त हो।
शौर्य और स्वाभिमान:
"क्षण भर झुके ना शीश चाहे टूटकर गिरे..." — यह पंक्तियाँ स्वाभिमान की पराकाष्ठा को दिखाती हैं। राणा और शिवा (छत्रपति शिवाजी) जैसे महावीरों का स्मरण करते हुए निडरता और साहस की प्रेरणा मिलती है।
अंतिम वाक्य भी हो देश के नाम:
"अंतिम समय मगर पर जय हिंद हो वचन..." — जीवन की अंतिम सांस तक देशप्रेम की भावना रखने का भाव अत्यंत प्रेरणास्पद है।
देश के लिए सर्वोच्च बलिदान की भावना:
"होकर शहीद इस पर हमारे शरीर को, फिर तीन रंगों वाला हमको कफन मिले..." — यह गीत शहादत को सम्मान और सौभाग्य मानता है। तिरंगा कफन बनकर अंतिम विदाई का प्रतीक हो — यह हर देशभक्त की चाह होती है।
हिमालय की गोद में बसे उत्तराखण्ड के सुदूरवर्ती गांव के एक छोटे से विद्यालय की यह वीडियो आजकल हर किसी से वाहवाही बटोर रही है। बेजोड़ स्वर, कमाल की लयबद्धता एवं प्रेरणीय अनुशासन के साथ गाये इस देशभक्ति गीत को सुनकर हर कोई मंत्रमुग्ध है।
हिमालय की तलहटी पर बसे राजकीय इंटर कॉलेज डोर (मुनस्यारी) जिला-पिथौरागढ़, उत्तराखण्ड में सुबह होने वाली प्रार्थना में यहाँ के छात्र-छात्राओं द्वारा इस देश भक्ति गीत को गाया है। बेजोड़ स्वर, कमाल की लयबद्धता एवम प्रेरणीय अनुशासन का बेमिसाल उदाहरण प्रस्तुत करते इस वीडियो ने सभी को मंत्रमुग्ध किया है। हर कोई स्कूल के बच्चों और गुरुजनों के अनुशासन की प्रसंशा कर रहा है।