हो जन्म दुबारा तो भारत वतन मिले-देशभक्ति गीत के लिरिक्स।

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हो जन्म दुबारा तो भारत वतन मिले गीत प्रमुख देशभक्ति गीतों में से एक है, जो भारतीय संस्कृति और राष्ट्रप्रेम की भावना से ओत-प्रोत है। यह गीत न केवल भारतीय भूमि के प्रति गहरी श्रद्धा और सम्मान को व्यक्त करता है, बल्कि इसके माध्यम से देश के ऐतिहासिक गौरव, उसकी समृद्धि और उसकी ममता भरी गोदी की सुंदरता का भी चित्रण किया गया है। 

इस देशभक्ति गीत में कहा गया है कि यदि हमारा पुनर्जन्म होता है तो भारत जैसी पुण्य धरती पर ही हो और पुनः वही हिमालय और गंगा का गोद मिले। यह गीत देश के विद्यालयों में प्रातः प्रार्थना में गाई जाती है, वहीं विभिन्न राष्ट्रीय पर्वों में इस गीत को बच्चों द्वारा गाया जाता है। 

गीत के बोल 

हो जन्म दुबारा तो भारत वतन मिले,
फिर से वही हिमालय गंगो चमन मिले।
है धूल इसकी चंदन अमृत है इसका जल,
है सरसती हवाओं से झूमती फसल। 
हो जन्म दुबारा तो भारत वतन मिले,
फिर से वही हिमालय गंगो चमन मिले।
 
ममता भरी ये गोदी फिर से नसीब हो,
धरती मिले यही और यही गगन मिले। 
इतिहास का हो गौरव वो आन-बान हो,
बलिदान की प्रथाएं रण का विधान हो।  
हो जन्म दुबारा तो भारत वतन मिले,
फिर से वही हिमालय गंगो चमन मिले।

क्षण भर झुके ना शीश चाहे टूटकर गिरे,
राणा-शिवा का तेवर बांकपन मिले। 
सौभाग्य देशहित हो फिर प्राणों का हवन, 
अंतिम समय मगर पर जय हिंद हो वचन।  
हो जन्म दुबारा तो भारत वतन मिले,
फिर से वही हिमालय गंगो चमन मिले।

होकर शहीद इस पर हमारे शरीर को,  
फिर तीन रंगों वाला हमको कफन मिले। 
हो जन्म दोबारा तो भारत वतन मिले, 
फिर से वही हिमालय गंगो चमन मिले।  
 

गीत का सार और भावार्थ:

मातृभूमि के प्रति अगाध प्रेम:
गीत की पहली पंक्ति "हो जन्म दुबारा तो भारत वतन मिले" यह दर्शाती है कि भारतवासी के लिए यह देश केवल जन्मभूमि नहीं, बल्कि एक संस्कार भूमि है। जन्म का उद्देश्य भी तभी सार्थक है जब वह भारत में हो।

प्राकृतिक सौंदर्य की प्रशंसा:
"फिर से वही हिमालय गंगो चमन मिले..." — गीतकार ने हिमालय, गंगा और फूलों के चमन के माध्यम से भारत की प्राकृतिक गरिमा और आध्यात्मिक पहचान को चित्रित किया है।

मिट्टी और जल की महिमा:
"है धूल इसकी चंदन, अमृत है इसका जल..." — यह पंक्ति बताती है कि यहाँ की मिट्टी चंदन जैसी पवित्र है और जल अमृत तुल्य है।

ऐतिहासिक और वीर परंपराओं की झलक:
"इतिहास का हो गौरव, वो आन-बान हो..." — भारत के इतिहास की शौर्य गाथाओं और बलिदानी परंपरा को सम्मानित करते हुए यह भाव आता है कि आने वाला जन्म भी इन्हीं मूल्यों से युक्त हो।

शौर्य और स्वाभिमान:
"क्षण भर झुके ना शीश चाहे टूटकर गिरे..." — यह पंक्तियाँ स्वाभिमान की पराकाष्ठा को दिखाती हैं। राणा और शिवा (छत्रपति शिवाजी) जैसे महावीरों का स्मरण करते हुए निडरता और साहस की प्रेरणा मिलती है।

अंतिम वाक्य भी हो देश के नाम:
"अंतिम समय मगर पर जय हिंद हो वचन..." — जीवन की अंतिम सांस तक देशप्रेम की भावना रखने का भाव अत्यंत प्रेरणास्पद है।

देश के लिए सर्वोच्च बलिदान की भावना:
"होकर शहीद इस पर हमारे शरीर को, फिर तीन रंगों वाला हमको कफन मिले..." — यह गीत शहादत को सम्मान और सौभाग्य मानता है। तिरंगा कफन बनकर अंतिम विदाई का प्रतीक हो — यह हर देशभक्त की चाह होती है।

 




हिमालय की गोद में बसे उत्तराखण्ड के सुदूरवर्ती गांव के एक छोटे से विद्यालय की यह वीडियो आजकल हर किसी से वाहवाही बटोर रही है। बेजोड़ स्वर, कमाल की लयबद्धता एवं प्रेरणीय अनुशासन के साथ गाये इस देशभक्ति गीत को सुनकर हर कोई मंत्रमुग्ध है। 

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हिमालय की तलहटी पर बसे राजकीय इंटर कॉलेज डोर (मुनस्यारी) जिला-पिथौरागढ़, उत्तराखण्ड में सुबह होने वाली प्रार्थना में यहाँ के छात्र-छात्राओं द्वारा इस देश भक्ति गीत को गाया है। बेजोड़ स्वर, कमाल की लयबद्धता एवम प्रेरणीय अनुशासन का बेमिसाल उदाहरण प्रस्तुत करते इस वीडियो ने सभी को मंत्रमुग्ध किया है। हर कोई स्कूल के बच्चों और गुरुजनों के अनुशासन की प्रसंशा कर रहा है। 

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यह वीडियो ट्रेलर मात्र है। वास्तव में यहाँ के स्कूलों में जो अनुशासन का पाठ पढ़ाया जाता है, उत्तम दर्जे की शिक्षा के साथ-साथ देश प्रेम की भावना जगाई जाती है, वो हर उत्तराखण्ड वासी पर साफ देखा जा सकता है। इस बेहतरीन देशभक्ति गीत के साथ जिस स्कूल की शुरुवात हो वहां स्वतः ही पढ़ाई का माहौल बन जाता है। 
आप भी सुनिए इस गीत को और अपने स्कूल के दिनों को याद करें।

विनोद सिंह गढ़िया

ई-कुमाऊँ डॉट कॉम के फाउंडर और डिजिटल कंटेंट क्रिएटर हैं। इस पोर्टल के माध्यम से वे आपको उत्तराखंड के देव-देवालयों, संस्कृति-सभ्यता, कला, संगीत, विभिन्न पर्यटक स्थल, ज्वलन्त मुद्दों, प्रमुख समाचार आदि से रूबरू कराते हैं। facebook youtube x whatsapp

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