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उत्तराखण्ड के इस मंदिर में है अनूठी परम्परा | Uttarakhand Temples Tradition.

On: October 14, 2025 10:31 PM
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त्तराखण्ड स्थित बागेश्वर जिले के कपकोट तहसील मुख्यालय से करीब 8 किलोमीटर दूर पोथिंग गांव में माँ नंदा भगवती का एक भव्य मन्दिर है। जहाँ हर वर्ष भाद्रपद नवरात्रों में माँ नंदा की विशेष पूजा की जाती है। प्रतिपदा से लेकर अष्टमी तक होने वाली इस पूजा में माता नंदा सहित उनके गणों की विशेष पूजा की जाती है। प्रतिपदा से लेकर सप्तमी तिथि तक हर रात्रि मंदिर में जागरण होता है। सप्तमी तिथि को मंदिर में कदली वृक्ष के तनों से माँ नंदा की मूर्ति का निर्माण किया जाता है। अष्टमी तिथि को माँ नंदा के मुख्य मंदिर के कपाट खोले जाते हैं और विधिवत पूजा की जाती है। इस दिन दूर-दूर से भक्तजन माँ नंदा के धाम पोथिंग में पहुँचते हैं और माता के दर्शन कर उन्हें सोने-चांदी के आभूषण, छत्र, घंटे, ढोल-नगाड़े, झांजर, भकोरे, चुनरी, निशाण आदि अर्पित करते हुए सुख-समृद्धि की कामना करते हैं। इस दिन विशाल पोथिंग का मेला भी लगता है। नंदा अष्टमी को भगवती मंदिर पोथिंग में मोटी वजनी पूड़ियाँ बनाने का रिवाज़ सैकड़ों वर्षों से चले आ रहा है। एक पूड़ी का वजन करीब 300 ग्राम से लेकर 500 तक होता है। यहाँ ये पूड़ियाँ हजारों के हिसाब से बनाई जाती हैं। इस भोग की समस्त सामग्री पोथिंग गांव के वाशिंदों द्वारा ही इकट्ठा की जाती है। गेहूं को माता नंदा के घराट ( पनचक्की ) में पूर्ण विधि-विधान के साथ पीसकर मंदिर में लाया जाता है। स्वयं ग्रामीण इन पूड़ियों को बनाते हैं। मंदिर में मौजूद बड़ी-बड़ी कढ़ाईयों में इन पूड़ियों को तला जाता है।  प्रसाद के रूप में वितरित की जाने वाली गहरे भूरे रंग की इन पूड़ियों को लेने के लिए भक्तों में खास उत्साह रहता है। वे घंटों कतार में लगकर माता के इस प्रसाद को लेकर ही अपने घरों की ओर प्रस्थान करते हैं।
मंदिर में मोटी पूड़ियाँ बनाते पोथिंग के ग्रामीण।
मोटी वजनी पूड़ी बनाने की यह विशिष्ट परम्परा भगवती मंदिर पोथिंग के अलावा कहीं नहीं है। लोग इन पूड़ियों को प्रसाद स्वरूप अपने ईष्ट-मित्रों को भेजते हैं। लोग कहते हैं करीब 10 दिन रखने के बाद  भी यह पूड़ियाँ ख़राब नहीं होती हैं और उनका स्वाद भी वही रहता है। बदलते दौर में हम अनेक रीति-रिवाजों को भूल चुके हैं और अपना चुके हैं, लेकिन पोथिंग गांव के वाशिंदों द्वारा अपने पूर्वजों द्वारा प्रारम्भ की गई मोटी वजनी पूड़ियाँ बनाने की यह परम्परा आज भी जीवित रखी है।
पोथिंगवासी माँ नंदा भगवती आप सबकी मनोकामना पूर्ण करें।
माँ नंदा भगवती मंदिर पोथिंग (बागेश्वर) में बनने वाली 500 ग्राम वजनी पूड़ी।
पूरा लेख पढ़ने के लिए कृपया उपरोक्त शीर्षक पर टैप करें या https://www.eKumaon.com पर जाएँ।

Vinod Singh Gariya

ई-कुमाऊँ डॉट कॉम के फाउंडर और डिजिटल कंटेंट क्रिएटर हैं। इस पोर्टल के माध्यम से वे आपको उत्तराखंड के देव-देवालयों, संस्कृति-सभ्यता, कला, संगीत, विभिन्न पर्यटक स्थल, ज्वलन्त मुद्दों, प्रमुख समाचार आदि से रूबरू कराते हैं।

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