Bhat Ke Dubke: उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में सोयाबीन को ‘भट’ कहा जाता है। यहाँ काले और सफ़ेद रंग के भट (सोयाबीन) की पैदावार अच्छी मात्रा में होती है। लेकिन काला भट (Black Bean, Phaseolus vulgaris) अपने उच्च पोषण तत्व व औषधीय महत्व के कारण यहाँ की एक महत्वपूर्ण फसल है। सर्दियों के मौसम आते ही यहाँ के लोग भट (Bhat) को पीसकर पोषक तत्वों से भरपूर एक स्वादिष्ट गाढ़ी दाल बनाते हैं, जिसे यहाँ ‘भट के डुबके‘ कहते हैं। जो मुख्यतः चाँवल यानी भात के साथ मिलाकर खाया जाता है। यहाँ हम उत्तराखंड के इस लजीज व्यंजन के बारे जानकारी दे रहें हैं, साथ ही डुबके बनाने की पारम्परिक पहाड़ी विधि आपको बतायेंगे।
डुबका क्या है ?
भीगी दाल जिसमें मुख्यतः काले भट, गहत, राजमा शामिल हैं को सिलबट्टे में पीसकर लोहे की कढ़ाई में करीब घंटाभर पककर एक ख़ास गाढ़ा व्यंजन तैयार होता है, जिसे उत्तराखंड में ‘डुबका’ या ‘डुबके’ कहते हैं। जिसमें तेल और मसाले न के बराबर होते हैं लेकिन इसका स्वाद बेहद ख़ास होता है। वहीं औषधीय गुणों के साथ-साथ यह पौष्टिकता से भरपूर होता है। इनमें ‘काले भट के डुबके‘ बेहद लोकप्रिय और फायदेमंद हैं।
भट के डुबके बनाने की पारम्परिक विधि
भट के डुबके (Bhat Ke Dubke Recipe) बनाने की पारम्परिक पहाड़ी विधि भट (सोयाबीन) को भिगोने से प्रारम्भ हो जाती है। जिसे रात को ही हल्के गुनगुने पानी भिगो दिए जाते हैं, क्योंकि डुबके के लिए भट ने कम से कम 6 घंटे तक पानी में भीगा होना आवश्यक है।
अगले दिन पानी में भीगे इन भटों को साफ़ पानी से एक दो बार धोकर सिलबट्टे में बड़े ध्यान से पीसा जाता है, ताकि भट के दाने बड़े टुकड़ों में न रहें और इतने पतले भी न पिसे कि डुबके का स्वरूप ही बदल जाये। कहने का तात्पर्य है कि भट के कुछ टुकड़े (Chunks) पकने के बाद मुँह में लगने चाहिये।
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भट के पिस जाने के बाद इन्हें लोहे की कढ़ाई में पानी के साथ घोलकर लकड़ी के चूल्हे में पकाने के लिए रख दिया जाता है। करीब 20 मिनट तक इसे समय-समय पर चलाते रहते हैं, ताकि ये चिपक न सकें। धीरे-धीरे इसे हल्की आँच में पकने के लिए छोड़ दिया जाता है। करीब 35 से 45 मिनट पकने के बाद इसमें स्वाद के अनुसार नमक मिलाते हैं और एक कटोरी मंडुवे के आटे को पानी में घोलकर इस डुबके में मिला दिया जाता है। अब करीब 20 से 25 मिनट और पकने देते हैं। डुबके तैयार होने पर कढ़ाई के ऊपर परत जमने लगती है। यही डुबके तैयार होने की असली पहचान है।
इसमें आप अपने खाने वाले सामान्य मसाले भी दाल सकते हैं, जिसमें लहसुन, जीरा, धनिया प्रमुख हैं। साथ ही आप पकने के दौरान देशी घी डाल सकते हैं।
जब पहाड़ों में कौंणी और झुंगर की पैदावार पर्याप्त मात्रा में होती थी, इनके दाने भी भट के डुबके के साथ मिलाये जाते थे। स्वाद से भरपूर यह डुबके और भी पौष्टिकता भरे हो जाते थे। वहीं आजकल लोग अपने-अपने तरीकों से भूनकर, विभिन्न मसालों के साथ भट के डुबके तैयार करते हैं।
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झोली के साथ खाएं डुबके और भात
डुबके का असली स्वाद झोली यानी कढ़ी के साथ आता है। पहाड़ों में भट्ट के डुबके के साथ छांछ से बनी झोली और भात अवश्य बनाया जाता है। साथ ही यहाँ ध्यान देने योग्य बात यह है कि डुबके, झोली, भात यहाँ दिन के समय ही खाएं जाते हैं। वहीं छांछ की झोली की जगह मूली और उड़द से तैयार बड़ियों का मेल भी डुबके-भात के साथ बड़ा अच्छा आता है। इसीलिये यहाँ यह लोकोक्ति है – ‘भटक डुबुक, बढ़ी साग।’
स्वाद ही नहीं पोषण भी
भट के डुबके गर्म माने जाते हैं इसलिए इसे विशेषकर सर्दियों में खाया जाता है। यह स्वाद में ही नहीं अपितु स्वास्थ्य के लिए बेहद गुणकारी है। इसके प्रमुख फायदे इस प्रकार हैं –
- भट यानि काला सोयाबीन में प्रोटीन, कैल्शियम, पोटैशियम, आयरन और विटामिन बी जैसे कई महत्वपूर्ण पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो सभी डुबके में मौजूद रहते हैं।
- ये सभी पोषक तत्व लिवर, किडनी और हार्ट जैसे शरीर के महत्वपूर्ण अंगों को मजबूत करते हैं।
- काला भट में आइसोफ़्लेवोन नामक यौगिक पाए जाते हैं, जो बैड कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करते हैं।
- काले भट में ओमेगा 3 फैटी एसिड पाया जाता है जो पेट के अतिरिक्त तन्त्रिका तन्त्र को मजबूत बनाने में भी उपयोगी है।
- इसमें एंटीऑक्सीडेंट तत्व पाए जाते हैं, जो शरीर को स्वस्थ रखने में सहायक होते हैं।
- वहीं काला सोयाबीन में मौजूद फाइबर भूख को शांत करता है और लम्बे समय तक शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है।
- अगर आप सर्दियों में अपना वजन कम करना चाहते हैं तो भट के डुबके का इस्तेमाल अवश्य करें।
- स्वस्थ और तंदुरुस्त रहने के लिए भट के डुबके फायदेमंद हो सकते हैं।
- प्राचीन पद्धति के अनुसार सर्दी, जुकाम या खाँसी होने पर काले भट भूनकर सुँघाया आये तो रोगी को लाभ होता है।
कब न खायें भट के डुबके
- पहाड़ों में भट के डुबके प्रायः दिन के भोजन के साथ ही खाये जाते हैं।
- डुबके ताजे और गर्म ही खाएं।
- ठंडे डुबके खाने से बचें।
- रात में भट के डुबके खाने से परहेज करें।
- छोटे शिशुओं को डुबके न खिलायें। क्योंकि पहाड़ों में कहा जाता है छोटे शिशु इसे नहीं पचा पाते हैं।
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