गोलू देवता उत्तराखंड के लोक देवता हैं, जिन्हें ‘न्याय के देवता’ के रूप में मान्यता प्राप्त है। लोक आस्था के अनुसार वे सच्चे मन से प्रार्थना करने वालों की हर मनोकामना पूरी करते हैं और अन्याय के विरुद्ध हमेशा खड़े रहते हैं। कुमाऊँ क्षेत्र में विशेष रूप से पूजित, गोलू देवता के मंदिरों में, जिनमें चितई, घोड़ाखाल प्रमुख हैं श्रद्धालु अपने निवेदन पत्र बाँधकर न्याय की गुहार लगाते हैं। इसी कारण वे केवल आस्था के प्रतीक नहीं, बल्कि न्याय और सत्य के रक्षक माने जाते हैं।
इस पोस्ट में गोलू देवता की आरती प्रस्तुत है, जिसके लिरिक्स कुमाऊंनी भाषा में हैं।
Golu Devta Ki Aarti
जय हो जय गोलज्यू महाराज,
ज्योति जलूनों तेरी
ज्योति जलूनों तेरी
सुफल करिए काज
जय गोलज्यू महाराज…..!!!
पाणी में बगन तू आछे ,
लुवे को पिटार में नादान,
देवा लुवे को पीटार में नादान।
गोरी घाट भाना पायो
गोरी घाट भाना पायो
पड़ी गयो गोरिया नाम
जय हो जय गोलज्यू महाराज…..!!!
हरुआ, कलुवा भाई तेरो,
बड़ छेना जो दीवान,
देवा बड़ छेना जो दीवान।
माता कालिका तेरी
माता कालिका तेरी
बाबू झालो राज़
जय हो जय गोलज्यू महाराज…..!!!
सुखिले लुकड़ टांक तेरो,
कांठ का घोड़ में सवार,
देवा काठ को घोड़ में सवार.
लुवे की लगाम हाथयू में।
लुवे की लगाम हाथयू में।
चाबुक छू हथियार.
जय हो जय गोलज्यू महाराज…..!!!
न्याय तेरो हुं साची,
सब उनी तेरो द्वार,
देवा सब उनी तेरो द्वार।
जो मांखी तेरो नो ल्यूं
जो मांखी तेरो नो ल्यूं
लगे वीक नय्या पार
जय गोलज्यू महाराज…..!!!
दूध, बतास और नारियल,
फूल चढ़नी तेरो द्वार,
देवा फूल चढ़नी तेरो द्वार।
प्रथम मंदीर चम्पावत
प्रथम मंदीर चम्पावत
फिर चितई, घोड़ाखाल
जय गोलज्यू महाराज…..!!!
आरती का भावार्थ
इस आरती में गोलू देवता के जन्म का बखान करते हुए कहा गया है कि हे ग्वलज्यू ! हम आपके नाम की ज्योत जलाकर आपसे प्रार्थना करते हैं कि आप हमारे सभी कार्यों को फलदायी बनाना। आप वह अवतारी हैं जो एक नादान बालक के रूप में लोहे के बक्से में बंद कर काली नदी में बहाये गए और गोरीघाट में भाना नाम के मछुआरे को प्राप्त हुए। यहीं से आपको गोरिया नाम मिला। ऐसे ग्वल ज्यू की जय हो।
इस भजन में गोलू देवता की माता रानी कलिंगा, पिता झालुराई और भाई हरुआ और कलुवा का वर्णन करते हुए उनकी जय-जयकार की गई है। फिर आरती में उनके वेशभूषा का वर्णन करते हुए कहा गया है – सिर में सफ़ेद टांक यानि पगड़ी पहने, काठ के घोड़े में सवार और हाथ में लोहे की लगाम और चाबुक का हथियार लिए हे ग्वलज्यू ! आपकी जय हो।
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आपके द्वारा किया गया न्याय सच्चा होता है इसीलिये हम सभी आपके द्वार पर आये हैं। जो भी मनुष्य आपका नाम लेता है, आपको याद करता है उन सभी को आप भव सागर से पार करवाते हैं। धाम में दूध, बतासा, नारियल और फूल जैसे सामान्य सी भेंट से आप प्रसन्न हो जाते हैं। ऐसे गोलू राजा की जय हो। जय हो।