बसंत पंचमी 2025: सरस्वती पंचमी या श्री पंचमी, जिसे बसंत पंचमी के नाम से भी जाना जाता है, जो भारत के लोकप्रिय पर्वों में से एक है। सनातन धर्म को मानने वाले लोग इस दिन देवी सरस्वती जी की पूजा करते हैं। यह पर्व हिंदू महीने माघ के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है, जो हर साल अंग्रेजी कैलेंडर में फरवरी माह में आता है।
बसंत पंचमी भारत में वसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक पर्व है, इस दिन से वसंत ऋतु की शुरुआत हो जाती है। प्रकृति अब अपने नए रूप में नजर आने लगती है। शिशिर ऋतु की ठण्ड के बाद बांसती बयार अब सभी को आनंदित करने लगती है।
पौराणिक कथा
पौराणिक कथानुसार, ब्रह्मा जी ने जब सृष्टि की रचना की तो वे अपने इस रचना से संतुष्ट नहीं हुए क्योंकि वहां जीवन तो था पर चारों तरफ नीरसता थी। उन्होंने इस कमी को दूर करने के लिए अपने कमंडल से जल छिड़का, जिससे एक देवी प्रकट हुईं, जिनके हाथ में वीणा, पुस्तक और माला थी। यह देवी सरस्वती थी। उन्होंने वीणा के तार छेड़े, जिससे सृष्टि में मधुर ध्वनि और जीवन का संचार हुआ। तभी से देवी सरस्वती को ज्ञान, संगीत और कला की देवी माना जाता है और उनकी पूजा के लिए वसंत पंचमी का दिन तय किया गया।
महत्व
बसंत पंचमी को बहुत ही शुभ त्योहार माना जाता है। इस दिन लोग पीले रंग के वस्त्र पहनते हैं और मां सरस्वती की पूजा करते हैं। विद्यालय, कॉलेज और विभिन्न शिक्षण संस्थानों में विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है और बच्चों को अक्षर ज्ञान दिया जाता है। विद्यार्थी इस दिन अपने अध्ययन सामग्रियों को देवी को चरणों में रखते हैं और ज्ञान, बुद्धि और शैक्षणिक सफलता के लिए देवी सरस्वती का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
लोग अपने घरों में देवी सरस्वती की मूर्तियों को सुंदर ढंग से सजाते हैं और पूरी श्रद्धा के साथ
पूजा-अर्चना करते हैं। उन्हें विशेष रूप से पीले फूल चढ़ाए जाते हैं और आटे, मेवे, चीनी
और इलायची पाउडर का उपयोग करके एक विशेष मीठा व्यंजन, ‘केसर हलवा’ तैयार
किया जाता है। देवी को चढ़ाकर प्रसाद स्वरुप इस केसर के हलवे को ग्रहण किया जाता है।
यह त्योहार हमें ज्ञान, कला और संगीत के महत्व का स्मरण कराता है। यह हमें नई शुरुआत करने और जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए प्रेरित करता है।
बसंत पंचमी के कुछ महत्वपूर्ण पहलू:
- पीला रंग: पीला रंग ज्ञान, प्रकाश और सकारात्मकता का प्रतीक है।
- मां सरस्वती की पूजा: मां सरस्वती ज्ञान, विद्या, संगीत और कला की देवी हैं।
- विद्यारंभ: बच्चों को अक्षर ज्ञान देना बहुत ही शुभ माना जाता है।
- पतंग उड़ाना: पतंग उड़ाना खुशी और उत्साह का प्रतीक है।
बसंत पंचमी 2025
वर्ष 2025 में बसंत पंचमी रविवार, 02 फरवरी को मनाई जाएगी। इस दिन मां
सरस्वती की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजा विधि इस प्रकार है :
बसंत पंचमी 2025: तिथि और समय
- बसंत पंचमी 2025 तिथि: 02 फरवरी 2025
- पंचमी तिथि प्रारंभ: 02 फरवरी 2025 को सुबह 09:14 बजे से
- पंचमी तिथि समाप्त: 03 फरवरी 2025 को सुबह 06:52 बजे।
बसंत पंचमी 2025: शुभ मुहूर्त
- बसंत पंचमी पूजा मुहूर्त सुबह 09:14 बजे से दोपहर 12:33 बजे तक है।
बसंत पंचमी एक ऐसा त्योहार है जो हमें प्रकृति के सौंदर्य और ज्ञान के महत्व का बोध कराता है। यह हमें जीवन में सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाने और नई शुरुआत करने के लिए प्रेरित करता है।
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