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Happy Basant Panchami |
बसंत पंचमी नयी ऋतु बसंत के आगमन का स्वागत पर्व है। बसंत को ऋतुओं का राजा अर्थात सर्वश्रेष्ठ ऋतु माना गया है। इस समय पंच-तत्त्व अपना प्रकोप छोड़कर सुहावने रूप में प्रकट होते हैं। पंच तत्त्व - जल, वायु, धरती, आकाश और अग्नि सभी अपना मोहक रूप दिखाते हैं।
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सिर पंचमी के दिन घर के चौखट पर जौ के पौधे लगाती उत्तराखंड की एक महिला। |
उत्तराखंड में कैसे मनाई जाती है बसंत पंचमी -
उत्तराखण्ड सिर पञ्चमी (श्री पञ्चमी) के दिन लोग खेत में जाकर पूर्ण विधि-विधान यानि धूप, दीप, अक्षत-पिठ्यां के साथ जौ के पौधों को उखाड़कर घर में लाते हैं। महिलायें 'जी रये, जागी रये.…' शुभकामना के साथ छोटे बच्चों के सिर में खेत से लाये जौ के पौधे को रखती हैं और घर की बेटी अपने से बड़ों के सिर में इस जौ के पौधे रखकर शुभआशीष प्राप्त करती है। महिलायें लाल मिट्टी का गारा बनाकर घर के दरवाज़ों और छज्जों के चौखटों पर इस जौ के पौधों को लगाकर धन्य-धान्य, खुशहाली, सुख-समृद्धि की कामना करती हैं।
पीत वस्त्र धारण करने की है परम्परा-
बसंत ऋतु के आगमन पर पीला वस्त्र धारण करने की परंपरा है। साथ ही घरों में मां सरस्वती की पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही पकवान भी बनते हैं। बसंत पंचमी के इस पर्व को गांवों में बहन-बेटी के पावन रिश्ते मनाने की भी परंपरा है, जो वर्षों से चली आ रही है। त्यौहार को मनाने के लिए ससुराल में रह रही बहन या बेटी मायके आती है। या फिर मां-बाप स्वयं पंचमी देने बेटी के पास जाकर उसकी दीर्घायु की कामना करते हैं।
कुमाऊँ में बैठक होली की शुरुवात-
कुमाऊं में बैठक होली गाने का विशेष अंदाज है। बसंत पंचमी के दिन से यहाँ बैठक होली का गायन प्रारम्भ हो जाता है
जनेऊ संस्कार, बच्चों के नाक-कान छेदने की परम्परा -
बसंत पंचमी के शुभ मुहूर्त के दिन सरस्वती पूजन के अलावा उत्तराखंड में किशोरों के जनेऊ संस्कार भी सम्पन्न किये जाते हैं। इस दिन छोटे बच्चों के नाक, कान भी छेदने की परम्परा सैकड़ों वर्षों से चली आ रही है।
सिर पंचमी यानि बसंत पंचमी से ऋतुराज बसंत का आगमन हो जाता है। पतझड़ के बाद पेड़ों में नई कोपलें फूटती हैं। सभी पेड़ों में रंग-बिरंगे फूल निकल आते हैं। पेड़ों में नई बहार आ जाती है। पहाड़ों में इस ऋतु के गर्मी की शुरुवात होने लगती है। यहाँ के पत्ते-पत्ते खिल उठते हैं। पीली प्योंली, सुर्ख लाल बुरांश, मेहल, बासिंग, भिटौर के फूलों से पहाड़ खिलने लग जाते हैं। जिसे देखकर मन प्रसन्न हो जाता है। (Bansat Panchami in Uttarakhand)