उत्तराखंड का अल्मोड़ा न केवल एक पर्वतीय शहर है, बल्कि यह कुमाऊँ अंचल के प्रशासनिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विकास का साक्षी रहा है। यह नगर कभी कुमाऊँ प्रांत की राजधानी था और लंबे समय तक पूरे क्षेत्र का शासन यहीं से संचालित होता रहा। समय के साथ प्रशासनिक बदलाव हुए और अल्मोड़ा एक बड़े जिले से विभाजित होकर आज आठ जिलों के गठन की आधारशिला बना।
चंद शासकों की राजधानी बना अल्मोड़ा
चंद वंश के शासकों ने लगभग 1560 ईस्वी के आसपास कुमाऊँ की राजधानी को चंपावत से अल्मोड़ा स्थानांतरित किया। इसके बाद करीब 255 वर्षों तक अल्मोड़ा कुमाऊँ की राजनीतिक सत्ता का केंद्र बना रहा। सन 1560 से 1815 तक इस क्षेत्र पर पहले चंद शासकों और बाद में गोरखों का शासन रहा, और इस पूरे कालखंड में अल्मोड़ा राजधानी के रूप में स्थापित रहा।
अंग्रेजी शासन और प्रशासनिक बदलाव
सन 1815 में गोरखों को हारने के बाद अल्मोड़ा में अंग्रेजों का शासन स्थापित हो गया। अंग्रेजों ने कुमाऊँ और गढ़वाल का प्रशासन अल्मोड़ा से ही संचालित करना शुरू किया। उस समय टिहरी रियासत को छोड़कर पूरा कुमाऊँ और गढ़वाल क्षेत्र कुमाऊँ (अल्मोड़ा) में ही शामिल था।
सन 1839 में अंग्रेजों ने गढ़वाल को अलग जिला बना दिया और दोनों क्षेत्रों में अलग-अलग प्रशासनिक अधिकारियों की नियुक्ति की। इसके बाद नैनीताल की खोज और वहां अंग्रेज अधिकारियों की आवाजाही बढ़ने लगी। इसी के परिणामस्वरूप सन 1891 में कुमाऊँ जिले को दो भागों में बांटकर नैनीताल और अल्मोड़ा नाम से दो अलग जिले बना दिए गए।
कमिश्नरी से जिला मुख्यालय तक
सन 1891 के बाद अंग्रेज कमिश्नर अधिकतर नैनीताल में बैठने लगे और धीरे-धीरे कमिश्नरी कार्यालय वहीं से संचालित होने लगा। अल्मोड़ा में कमिश्नर के स्थान पर जिला मजिस्ट्रेट की नियुक्ति होने लगी। सन 1893 में पहले अंग्रेज आईसीएस अधिकारी जे.वी. स्टुअर्ट को अल्मोड़ा का जिला मजिस्ट्रेट नियुक्त किया गया।
आज़ादी के बाद जिलों का पुनर्गठन
आजादी के बाद भी सन 1960 तक कुमाऊँ मंडल में केवल अल्मोड़ा और नैनीताल दो ही जिले थे। दिनांक 24 फरवरी 1960 में पिथौरागढ़ जिले का गठन हुआ। इसी समय गढ़वाल क्षेत्र में चमोली और उत्तरकाशी जिले बनाए गए, हालांकि ये दोनों जिले भी कुमाऊँ कमिश्नरी के अंतर्गत ही रहे।
गढ़वाल के लोगों के लंबे आंदोलन के बाद सन 1967 में गढ़वाल को अलग कमिश्नरी बनाया गया और देहरादून को इसमें शामिल किया गया। इससे पहले तक देहरादून मेरठ कमिश्नरी के अंतर्गत आता था।
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अल्मोड़ा से बने नए जिले
अक्तूबर 1995 में नैनीताल जिले को विभाजित कर ऊधमसिंह नगर जिले का गठन किया गया। इसके बाद दिनांक 15 सितंबर 1997 में अल्मोड़ा जिले से बागेश्वर और पिथौरागढ़ जिले से चंपावत को अलग कर दो नए जिले बनाए गए।
इतिहास की धरोहर अल्मोड़ा
इस प्रकार अल्मोड़ा न केवल कुमाऊँ की ऐतिहासिक राजधानी रहा, बल्कि प्रशासनिक दृष्टि से भी उत्तराखंड के जिला गठन की प्रक्रिया का केंद्र बिंदु बना। आज भले ही अल्मोड़ा एक जिला मात्र हो, लेकिन इसके इतिहास में छिपी प्रशासनिक विरासत पूरे कुमाऊँ और गढ़वाल के विकास की कहानी कहती है।











