इतिहास पर्यटन सामान्य ज्ञान ई-बुक न्यूज़ लोकगीत जॉब लोक कथाएं लोकोक्तियाँ व्यक्ति - विशेष विदेश राशिफल लाइफ - साइंस आध्यात्मिक अन्य

Hey Nanda Hey Gaura मार्मिक लोकगीत के बोल

On: October 10, 2025 10:55 AM
Follow Us:
he nanda he gaura

‘हे नंदा  हे गौरा कैलाशूँ की जात्रा’ – भजन युवा गायक दर्शन फर्स्वाण द्वारा गाया नंदा भगवती का एक मधुर और मार्मिक लोकगीत है। इस गीत में नंदा गौरा को उसके ससुराल कैलाश को रवाना करने का एक मार्मिक वर्णन है। लोककथाओं के अनुसार माता भगवती को हिमालय पुत्री कहा गया है। इसीलिये नंदा भगवती को उत्तराखंड में बेटी का दर्जा प्राप्त है और पहाड़ के लोग नंदा को अपनी ध्यैणी मानते हैं। हर वर्ष भादो महीने की नवरात्रि में माँ नंदा की विशेष पूजा अर्चना की जाती है और अपनी ध्यैणी नंदा को कैलाश को बाजे-भकोरों की धुन के साथ विशेष पकवान, नये धान का चावल, मक्का, ककड़ी, फल आदि के साथ विदा किया जाता है। विदा करने का यह दृश्य बड़ा भावुक करने वाला होता है। नंदा के लोकगीत गाये जाते हैं। दर्शन फर्स्वाण और दीपक सिंह नेगी द्वारा लिए प्रस्तुत गीत में भी नंदा को उसके ससुराल कैलाश को विदा करने का मार्मिक वर्णन है। 

Hey Nanda Hey Gaura Lyrics हे नंदा  हे गौरा कैलाशूँ की जात्रा गीत के बोल 

हे नन्दा ! हे गौरा !
कैलाशूँ की जात्रा,
हे नन्दा, हे गौरा,
कैलाशों की जात्रा,
आ. आ…..
 
 
पटिनों भागिना, हे नन्दा भवानी,
सौंण भादों का मैहणा, सौरास की बारी,
लागिगे नि बाटा, यो भगति त्यारा,
यौ बाजा भंकौरा, सब त्यारा द्वारा,
 
 
हे नन्दा ! हे गौरा !
कैलाशूँ की जात्रा,
हे माता सुनन्दा, हे माता भवानी,
सौंण भादों का मैहणा, जात कि तैयारी,
 
 
हे देवि छाजिरौ चाँदी को छतरा,
भुज को पतला, हाथेकि पौंजिया,
देवि आ…..
चाँदी को छतरा, पाँव की पौलिया,
भोजि का पथरा, हाथों कि पौंछिया,
देवि………. पावन करिदे, यो धरती सारी,
सुफल है जाया, मेरी नन्दा भवानी,
 
 
हे नन्दा ! हे गौरा !
कैलाशूँ की जात्रा,
हे माता सुनन्दा, हे माता भवानी,
सौंण भादों का मैहणा, जात कि तैयारी,
 
 
हे नन्दा, गल की हसुली, मौनि को जुन्याला,
स्योनि का संगाला, पूजला भूमियाला,
सोबनातु पाणि, पोनो का सुपाली,
देवि जात्रा आया, हे गौरा भवानी
 
 
हे नन्दा ! हे गौरा !
कैलाशूँ की जात्रा,
हे माता सुनन्दा, हे माता भवानी,
सौंण भादों का मैहणा, जाते कि तैयारी,
 
 
 
देवि…. भगतों की देवि, तुइमैं सकारी,
गायी माई माँ तू, छाया माँ करी,
पैटण लागि ग्ये, कैलाशे की बारी,
आशीष दी जाया, विनती हमारी,
सौंण भादो को मैहणा, सौरास की बारी,
 
 
हे नन्दा ! हे गौरा !
कैलाशूँ की जात्रा,
हे नन्दा, हे गौरा,
कैलाशूँ की जात्रा,
हे माता सुनन्दा, हे माता भवानी,
सौंण भादों का मैहणा, जात कि तैयारी।

 

Vinod Singh Gariya

ई-कुमाऊँ डॉट कॉम के फाउंडर और डिजिटल कंटेंट क्रिएटर हैं। इस पोर्टल के माध्यम से वे आपको उत्तराखंड के देव-देवालयों, संस्कृति-सभ्यता, कला, संगीत, विभिन्न पर्यटक स्थल, ज्वलन्त मुद्दों, प्रमुख समाचार आदि से रूबरू कराते हैं।

Join WhatsApp

Join Now

Join Telegram

Join Now

Leave a Comment