Happy Igas Bagwal 2025 : इगास बग्वाल यानी बूढ़ी दिवाली का पर्व पूरे उत्तराखंड में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। जो हर वर्ष दीपावली के ठीक 11 दिन बाद कार्तिक शुक्ल एकादशी तिथि को आता है। मानसखण्ड (कुमाऊँ) में इसे ‘बूढ़ी दिवाली‘ और केदारखंड (गढ़वाल) में इस पर्व को ‘इगास बग्वाल‘ के नाम से जानते हैं। परम्परानुसार इस पर्व के दिन अपने गौ वंश की पूजा कर उनका आभार प्रकट किया जाता है और उन्हें पौष्टिक आहार खिलाया जाता है। अपने ईष्ट देवों और पूर्वजों की पूजा कर विभिन्न प्रकार के पकवानों का आनंद लेकर रात को सामूहिक रूप से भैलो खेला जाता है। मंडाण, चौफुला, झुमैलो आदि नृत्य, गीत संगीत से लोग अपना मनोरंजन करते हैं।
इगास का पर्व सिर्फ एक उत्सव नहीं बल्कि लोकजीवन, आस्था, परम्परा, एकता और वीरता का प्रतीक है। वहीं यह पर्व गौवंश के प्रति प्यार, मेहनत और अन्न के प्रति सम्मान का भी प्रतीक है। यहाँ हमने आपकी सहूलियत के लिए कुछ चुनिंदा शुभकामना सन्देश और कोट्स (Wishes & Quotes) साझा किये हैं, जिन्हें आप अपने मित्रों, परिवारजनों या सोशल मीडिया पर शेयर कर सकते हैं।
Happy Igas Bagwal
- “उत्तराखण्ड के लोकपर्व इगास बग्वाल की आप सभी को ढेरों बधाई और शुभकामनायें। यह पर्व न केवल हमारे रीति-रिवाजों का प्रतीक है, बल्कि हमारी एकता, प्रेम और परंपराओं का भी उत्सव है।”
- “इगास बग्वाल और बूढ़ी दिवाली की हार्दिक शुभकामनाएँ। देवभूमि का यह पावन पर्व आपके जीवन में सुख, समृद्धि और नई ऊर्जा का संचार करे।”
- “देवभूमि उत्तराखण्ड के गौरवशाली इतिहास एवं समृद्ध संस्कृति को समर्पित लोकपर्व “इगास बग्वाल” की आप सभी को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं…” यह पावन पर्व सभी के जीवन में सुख, शांति, समृद्धि तथा आरोग्यता लेकर आए।
- “भैलो की रोशनी में नाचता जीवन, अरसे-पकोड़ों की महक और घर-घर में खुशियों की गूँज। इगास बग्वाल की यही है असली पहचान।” – आप सभी को हैप्पी इगास।
- “दिवाली के ग्यारह दिन बाद, फिर जागा उल्लास पहाड़ का। इगास बग्वाल की धूम है हर ओर, साथ मिलकर मनाओ यह पर्व शानदार।”- शुभ इगास।
- “इगास की धूम है चारों ओर, भैलो की रौनक से जगमग हर छोर। पहाड़ों की संस्कृति में बसी है ये मिठास,नाचें-गायें, मनाएं बग्वाल और हर दिल को ख़ास। Happy Igas Bagwal
- “बूढ़ि दीवाली, हरिबोधिनी एकादशी और इगास की सभी को सपरिवार शुभकामनायें।”
- “उत्तराखंड के सभी भाइयों, बहनों और परिवारजनों को इगास बग्वाल की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं। यह पर्व आपके जीवन में खुशी, सुख, शांति और समृद्धि लाए। हमारी संस्कृति का यह पुराना त्योहार हमें आपस में जोड़ने और परंपरा से जुड़ने की सीख देता है।”

इगास बग्वाल कोट्स (Igas Bagwal Quotes in Hindi)
- “इगास हमें सिखाता है कि परंपराएं सिर्फ रीतियां नहीं, बल्कि हमारी जड़ों की पहचान हैं।
- “जब तक घर में परंपरा की लौ जलती है, तब तक संस्कृति जीवित रहती है।”
- “इगास बग्वाल सिर्फ त्योहार नहीं, ये हमारी मेहनत, आस्था और एकता का प्रतीक है।”
- “पर्व वही जो दिलों में अपनापन जगाए और समाज को जोड़ जाए ! यही है इगास बग्वाल।”
- “आधुनिकता में भी जो अपनी संस्कृति को संजोए रखे, वही सच्चा पहाड़ी कहलाता है।”
- “हमारी संस्कृति-हमारी पहचान, इगास, बग्वाल, बूढ़ी दिवाली !!”
- “आप सभी को हमारे लोकपर्व ईगास की भौत-भौत बधाई। आइए अंधेरे पर प्रकाश की विजय और एकजुटता की भावना का जश्न मनाएं, जो हमारी परंपराओं को इतना खास बनाती है। आईए हम सब मिलकर चारों ओर प्यार, हँसी और गर्मजोशी का अहसास कराएं। शुभ बग्वाल !”
गढ़वाली भाषा में शुभकामना संदेश
- 
- गढ़-कुमौं का सबि भै बैण्यूं, दाना सयाणा, छुट्टा, बड़ों थैं ‘इगास बग्वाल’ की भौत-भौत बधै। अपणी देवभूमि का देवी द्यब्तौं थैं कामना करदूँ कि इगास आप सब्युं का जीवन मा सुख-समृद्धि लेकी आवो।
- इगास बग्वाल छ, खुशियाँ मनावो! सब्यूँ का जीवन माँ सुख-समृद्धि आवो!
 (अर्थ: इगास बग्वाल है, खुशियाँ मनाओ! सबके जीवन में सुख-समृद्धि आए!)
- सब्बि दगड़्योंतैं इगास बग्वाळ/ काण्सी बग्वाळै बधै!
- देवभूमि उत्तराखंड का सबि भै बैण्यूं थैं इगास (बूढ़ी दिवाली) की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं। अपणी देवभूमि का देवी- देवतों थैं यी प्रार्थना च कि इगास आप सब्युं का जीवन मा सुख-समृद्धि लेकी आवो। सभी हैंसी ख़ुशी जुग राजी रौ।
 
भैलो गीत
भैलो रे भैलो, खेला रे भैलो
बग्वाल की राति खेला भैलो
बग्वाल की राति लछमी को बास
जगमग भैलो की हर जगा सुवास
स्वाला पकोड़ों की हुई च रस्याल
सबकु ऐन इनी रंगमती बग्वाल
नाच रे नाचा खेला रे भैलो
अगनी की पूजा, मन करा उजालो
भैलो रे भैलो।
सुख करी भैलो, धर्म को द्वारी, भैलो
धर्म की खोली, भैलो जै-जस करी
सूना का संगाड़ भैलो, रूपा को द्वार दे भैलो
खरक दे गौड़ी-भैंस्यों को, भैलो, खोड़ दे बाखर्यों को, भैलो
हर्रों-तर्यों करी, भैलो।
क्यों मनाया जाता है इगास बग्वाल
उत्तराखण्ड के अलग-अलग भागों में इकास, इगास या ग्यास (जौनसार के कुछ हिस्सों में), बूढ़ी दिवाली (कुमाऊं) के नाम से जानते हैं। यह पर्व यहाँ क्यों मनाया जाता है ? इसके लिए मुख्यतः दो मान्यताएं है। पहली भगवान श्रीराम से जुड़ी है। किवदंती है कि राम जी के अयोध्या आगमन की सूचना पहाड़ों में 11 दिन बाद मिली थी और उसी दिन लोगों ने दिवाली मनाई।
- यहाँ भी पढ़ें : जानिए Igas Bagwal के प्रमुख तथ्य और परम्पराएं।
दूसरी मान्यता, वीर भड़ माधो सिंह भंडारी के तिब्बत विजय से जुड़ी है। 17वीं सदी पर आधारित एक पुस्तक Early Jesuit Travellers in Central Asia (1603-1721) जिसके लेखक Cornelius Wessels हैं, में भी इस पर्व का जिक्र आता है, कहा जाता है कि 17वीं सदी के आसपास तिब्बती राजा की सेना अक्सर लूटमार या साम्राज्य विस्तार के उद्देश्य से उत्तराखण्ड पर हमला किया करती थी।
एक बार तत्कालीन टिहरी रियासत (जिसमें आज के रुद्रप्रयाग,चमोली, उत्तरकाशी पौड़ी, टिहरी, जौनसार ,रँवाई और लोअर हिमाचल का कुछ हिस्सा 16 वीं 17 वीं सदी में रियासत के अंग थे) के राजा महिपति शाह ने अपने सेनापति माधो सिंह भण्डारी को तिब्बतियों से मुकाबला करने भेजा, पर रण में लड़ते-लड़ते कई दिन बीत गए। दिवाली भी बिन हर्षोल्लास बीत गयी पर सेनाओं की सूचना नहीं मिली।
जब तिब्बत विजय की सूचना दिवाली के 11 दिन बाद राजा को मिली और माधो सिंह भंडारी अपने लावलश्कर के साथ विजय होकर लौटे तो राजा ने तत्कालीन राजधानी श्रीनगर को दुल्हन की तरह सजा दिया और दिवाली के 11 वें दिन फिर से दिवाली (बग्वाल) मनाने की राजसी घोषणा हुई। तब से आज तक इगास को उत्तराखण्ड में धूमधाम से मनाया जाता है।
यह थे इगास बग्वाल के कुछ ख़ास Wishes and Quotes, जिन्हें आप व्हाट्सप्प, इंस्टाग्राम, फेसबुक, एक्स आदि सोशल प्लेटफार्म्स के माध्यम से अपने स्नेहीजनों को शेयर करें, साथ ही अरसा, पूड़ी, स्वाली और पकोड़े का स्वाद लेते हुए भैलो के उत्साह के साथ इस पर्व को मनाएं। हैप्पी इगास और बूढ़ी दिवाली।
 











