मन, वचन और कर्म से शुद्ध होकर घर में नवरात्रि कैसे मनायें ?

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नवरात्रि का पर्व सनातन धर्म के प्रमुख अनुष्ठानों में से एक हैं। इस दौरान लोग उपवास रखकर नौ दुर्गा की आराधना करते हैं। भारत में नवरात्रि का पर्व अत्यधिक उत्साह के साथ मनाते हैं। यहाँ वर्ष में चार नवरात्रों का वर्णन मिलता है। दो गुप्त एवं दो प्रत्यक्ष। प्रत्यक्ष दो नवरात्रों में एक को 'वासन्तिक नवरात्रि' व दूसरे 'शारदीय नवरात्रि' को कहा जाता है। वासन्तिक नवरात्रि चैत्र के महीने में विक्रम सम्वत के प्रथम दिन से प्रारम्भ होती है। वहीं शारदीय अर्थात शरद ऋतु में पड़ने वाली नवरात्रि। 

नवरात्रि (Navratri) में 'नव' शब्द संख्यावाची भी है तथा 'नवीनता' का द्योतक भी। नवदुर्गा: प्रकीर्तिता: के अनुसार माता दुर्गा के नव स्वरूपों का व‌र्णन मिलता है और ये स्वरूप नवीन है, नए-नए हैं। अर्थात् माता दुर्गा के नौ स्वरूपों में उल्लास के साथ रत हो जाना, लग जाना, ध्यानावस्थित हो जाना, नवरात्रि  की एक परिभाषा हो सकती है। 

नवरात्रि कैसे मनायें ?

नवरात्रि को हमें सात्विक तरीके से मानना चाहिए। इस दौरान हमें सात्विक जीवन शैली अपनाकर मन, वचन और कर्म से शुद्ध होना आवश्यक है। आईये जानते हैं हम नवरात्रि कैसे मनायें -

नवरात्र के दौरान उपवास रखने के समय एक बार ही भोजन लें और एक ही बार में पूरा खाना समाप्त करें। भोजन शुद्ध शाकाहारी होना चाहिए और इसे बनाने के समय लहसुन और प्याज का उपयोग नहीं करना चाहिए। सर्वप्रथम भक्तगण प्रार्थना कर सकते हैं और माता रानी को भोजन अर्पित कर फिर प्रसाद के रूप में इसे पा सकते हैं।

भोजन शुरू और अंत के समय 'जय माता दी' का उच्चारण 9 बार करना चाहिए। ज्यादा अच्छा होता है कि भोजन सूर्यास्त के बाद ग्रहण किया जाए। पूरे दिन भक्तगण फलाहार, जूस और दूध  का सेवन कर सकते हैं।

हालांकि कुछ लोग पूरे दिनभर फल और तरल पदार्थो का सेवन कर ही रह जाया करते हैं। यह मामला पूरी तरह से भक्तों के विवेक पर ही निर्भर करता है।

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नवरात्रि के दौरान इन बातों का रखें ध्यान 

  • नवरात्र के पूरे समय भक्तों को अपने दिमाग, शरीर और विचार को शुद्ध रखना आवश्यक होता है। प्रयास यह होना चाहिए कि भक्त रोज मां भवानी के मंदिर में जाए और प्रार्थना करे। प्रत्येक दिन आरती में शामिल होना भी अच्छा माना जाता है। आप प्रार्थना की शुरुआत गणेश जी का नाम लेकर गणेश वंदना के साथ कर सकते हैं।

  • मां की प्रतिमा या तस्वीर के सामने ज्योति अवश्य जलाएं। माता रानी को जोतांवाली भी कहा जाता है क्योंकि ज्वालामयी प्रकाश या आंच में उनका वास माना जाता है।
  •  इस पूरी अवधि के दौरान जमीन पर दरी बिछाकर सोना श्रेयस्कर माना जाता है।

  •  इस दौरान दाढ़ी, बाल या नाखून बनाना वर्जित माना जाता है।
  • उपवास के दौरान चमड़े और काले कपड़ों का प्रयोग निषिद्ध है।
  • इन्द्रिय विषयक विकारों और जनन या प्रसव से दूर रहना चाहिए।
  • माता रानी को प्रसाद के रूप में हलवा, पूरी और चने का भोग लगाना चाहिए।

  • अगर संभव हो तो कन्या को इस दौरान रोज खिलाना चाहिए। उपवास के अंत में 9 कन्याओं को एक साथ भी खिलाया जा सकता है। अगर ये दोनों संभव ना हो तो कन्याओं के बीच में ताजे फलों और ड्राई फ्रूटस का वितरण कर देना चाहिए।
  • इस दौरान गरीबों और जरूरतमंदों को दान करें। 
  • मंदिरों में जाकर माँ दुर्गा के दर्शन करें और यहाँ सेवा करें। 
  •  मांस, मदिरा और अंडों से दूर रहना चाहिए। अगर आपको स्वास्थ्य संबंधी कुछ शिकायतें हैं तो किसी प्रकार की दवा या भोजन से परहेज नहीं करना चाहिए।
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उपरोक्त नवरात्रि के दौरान अपने जीवनशैली की कुछ प्रमुख बातें थी, जिनका पालन कर हम अपनी नवरात्रि को सुफल बना सकते हैं। यह एक ऐसा अवसर होता है जब हम अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव लाकर मन, वचन और कर्म से शुद्ध होते हैं जो हमारे आने वाले समय के लिए श्रेयस्कर होता है। 
आपको नवरात्रि की शुभकामनायें। माँ दुर्गा की कृपा बनी रहे।