दैंण ह्वै जाए माँ सरस्वती, माँ सरस्वती दैंण ह्वै जाए।
 
दैंण ह्वै जाए माँ सरस्वती, माँ सरस्वती दैंण ह्वै जाए।
हिंग्वाली अन्वार तेरि, हंस की सवारी मैय्या, हंस की सवारी। 
तू हमरी ज्ञानदात्री, हम त्यारा पुजारी मैय्या हम त्यारा पुजारी।
बुद्धि दी दिए मति दी दिए, माँ सरस्वती दैंण ह्वै जाए।
 
तेरि कृपा की चाह में छ्युं, सच्चाई की राह में छ्युं, सुण ले माँ पुकार।
जाति धर्म छोड़ि छाड़ि, नक विचार छोड़ि छाड़ि, भल दिए विचार।
ध्यान धरिए, भल करिए माँ सरस्वती दैंण ह्वै जाए।

श्वेत हंस, श्वेत कमल, श्वेत माला मोती।
एक हाथ में वींण छाजि रै, एक हाथ में पोथी।
झोली भरिए पार करिए माँ सरस्वती दैंण ह्वै जाए।
 
मन को अन्ध्यार मिटाए, ज्ञान को दीपक जलाए, ज्ञान को दीपक।
तेरि करछूं मैं विनती, मेरि धरिए लाज मैय्या, मेरि धरिए लाज।
ज्ञान दी दिए विवेक दी दिए मां सरस्वती दैंण ह्वै जाए।
दैंण ह्वै जाए माँ सरस्वती, माँ सरस्वती दैंण ह्वै जाए।

 


रचना - रमेश चन्द्र जोशी (सत्यम जोशी)
रा०प्रा०वि० जारा धारचूला, पिथौरागढ़ उत्तराखण्ड

Previous Post Next Post