दैंण है जाए माँ सरस्वती वंदना के बोल और भावार्थ हिंदी में।

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'दैंण है जाए माँ सरस्वती' एक सरस्वती वंदना है। जिसे विभिन्न विद्यालयों में प्रातः प्रार्थना के रूप में गाया जाता है। कुमाऊंनी बोली में लिखी गई इस वंदना को सर्वप्रथम अमर लोकगायक स्वर्गीय पप्पू कार्की को श्रद्धांजलि देने के लिए उनके लोकप्रिय गीत 'सुन ले दगड़िया बात सुणी जा' की धुन की तर्ज पर गाया गया था। इस वंदना के बोल और कर्णप्रिय धुन को सभी ने सराहा और विभिन्न विद्यालयों में प्रातः स्कूल प्रेयर में गाया जाने लगा। इस वंदना के रचयिता तत्कालीन राजकीय प्राथमिक विद्यालय जारा धारचूला के शिक्षक सत्यम जोशी जी हैं।

Dain Hai Jaye Ma Saraswati Lyrics in Hindi

दैंण है जाए माँ सरस्वती, माँ सरस्वती दैंण ह्वै जाए।
हिंग्वाली अन्वार तेरि, हंस की सवारी मैय्या, हंस की सवारी। 
तू हमरी ज्ञानदात्री, हम त्यारा पुजारी मैय्या हम त्यारा पुजारी।
बुद्धि दी दिए मति दी दिए, माँ सरस्वती दैंण ह्वै जाए।
 
तेरि कृपा की चाह में छ्युं, सच्चाई की राह में छ्युं, सुण ले माँ पुकार।
जाति धर्म छोड़ि छाड़ि, नक विचार छोड़ि छाड़ि, भल दिए विचार।
ध्यान धरिए, भल करिए माँ सरस्वती दैंण ह्वै जाए।

श्वेत हंस, श्वेत कमल, श्वेत माला मोती।
एक हाथ में वींण छाजि रै, एक हाथ में पोथी।
झोली भरिए पार करिए माँ सरस्वती दैंण ह्वै जाए।
 
मन को अन्ध्यार मिटाए, ज्ञान को दीपक जलाए, ज्ञान को दीपक।
तेरि करछूं मैं विनती, मेरि धरिए लाज मैय्या, मेरि धरिए लाज।
ज्ञान दी दिए विवेक दी दिए मां सरस्वती दैंण ह्वै जाए।
दैंण ह्वै जाए माँ सरस्वती, माँ सरस्वती दैंण ह्वै जाए।

'दैंण है जाए माँ सरस्वती' वंदना में विद्या की देवी माँ सरस्वती से 'दैंण' होने यानि प्रसन्न होकर कृपा बरसाने की कामना की गई है। माँ सरस्वती से प्रार्थना करते हुए कहा गया है कि - 'हे माँ सरस्वती ! आप प्रसन्न हों, सुफल हों। सुन्दर मुखमण्डल और हंस की सवारी करने वाली मैया, आप हमारी ज्ञान दात्री हैं और हम आपके पुजारी हैं। हे मैया ! आप हमें बुद्धि दीजिये और अच्छी वाणी दीजिये।'  

प्रार्थना में कहा गया है - हे सरस्वती माँ ! हमें आपकी कृपा की आवश्यकता है। हम सच्चाई के मार्ग पर चलता चाहते हैं आप हमारी पुकार को सुनिए। जाति धर्म से हटकर, बुरे विचारों को छोड़कर आप हमें अच्छे विचार देना। हे माँ ! आप सुफल होकर हमारा ध्यान रखना, आप सब अच्छा करना। 

सफ़ेद हंस, सफ़ेद कमल और सफ़ेद मोतियों की माला धारण किये, आपके एक हाथ में वीणा सुशोभित है और एक हाथ में पुस्तक, आप खुश होकर हमारी झोली भरना, हमें हमारे लक्ष्य से पार करवाना। 

हे वीणा वादिनी ! आप ज्ञान के दीपक जलाकर, हमारे मन के अज्ञान रूपी अंधकार को मिटाना। हम आपसे विनती करते हैं आप हमारी लाज रखना। हे माँ ! आप प्रसन्न होकर हमें ज्ञान और विवेक देना।  

     


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यह थे सरस्वती वंदना 'दैंण है जाये माँ सरस्वती' के बोल। आशा है हमारा यह छोटा सा प्रयास आपको माँ सरस्वती के स्मरण के साथ-साथ इस वंदना के भाव को समझने में काम आएगा। 

विनोद सिंह गढ़िया

ई-कुमाऊँ डॉट कॉम के फाउंडर और डिजिटल कंटेंट क्रिएटर हैं। इस पोर्टल के माध्यम से वे आपको उत्तराखंड के देव-देवालयों, संस्कृति-सभ्यता, कला, संगीत, विभिन्न पर्यटक स्थल, ज्वलन्त मुद्दों, प्रमुख समाचार आदि से रूबरू कराते हैं। facebook youtube x whatsapp

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