दैंण है जाए माँ सरस्वती वंदना के बोल और भावार्थ हिंदी में।
' दैंण है जाए माँ सरस्वती' एक सरस्वती वंदना है। जिसे विभिन्न विद्यालयों में प्रातः प्रार्थना के रूप में गाया जाता है। कुमाऊंनी बोल...
' दैंण है जाए माँ सरस्वती' एक सरस्वती वंदना है। जिसे विभिन्न विद्यालयों में प्रातः प्रार्थना के रूप में गाया जाता है। कुमाऊंनी बोल...
उत्तराखंड के कुमाऊं अंचल में भाद्रपद माह की शुक्ल पंचमी को एक त्यौहार मनाया जाता है जिसे लोग 'बिरुड़ पंचमी' के नाम से जानते हैं। इस...
1942 के दौरान कुमाऊं में चले ‘भारत छोड़ो‘ आंदोलन के तहत अल्मोड़ा की सालम पट्टी का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। अल्मोड़ा जनपद के पूर्वी छोर पर बसा ...
भारतीय स्वाधीनता आंदोलन में उत्तराखण्ड के काली कुमाऊं यानि वर्तमान चम्पावत जनपद का अप्रतिम योगदान रहा है। स्थानीय जन इतिहास के आधार पर माना ...
उत्तराखंड में स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन की प्रारंभिक शुरुआत 1857 के दौर में एक तरह से काली कुमाऊं (वर्तमान चम्पावत जनपद ) से हो चुकी थी। वहा...
अल्मोड़ा के द्वाराहाट से करीब 25 किमी दूर स्थित है यहाँ का एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थान-दूनागिरी मंदिर। दूनागिरी से कुछ ही दूरी से घने जंगलों के ...
A view of Chaukodi 2018 में कैलाश मानसरोवर यात्रा के दौरान कुछ प्राकृतिक आपदाओं के कारण भारतीय विदेश मंत्रालय ने पैदल ट्रैक के रास्ते के बजा...
कोट भ्रामरी माता उत्तराखण्ड स्थित बागेश्वर जनपद के गरुड़ विकास खंड में कत्यूरी राजाओं की कुलदेवी भगवती भ्रामरी चंदवंशियों की भी कुलदेवी रही ...