दुबई को रवाना हुई गढ़वाली सेब की पहली खेप | Uttarakhand Apple Export

Garhwali Apple Export from Uttarakhand to Dubai

देहरादून। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के वाणिज्य विभाग की ओर से गुरुवार को देहरादून से दुबई के लिए 1.2 मीट्रिक टन गढ़वाली सेब (किंग रोट किस्म) की पहली परीक्षण खेप को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया। यह परीक्षण खेप कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) के सहयोग से संभव हो पाई है। यह पहल उत्तराखंड से कृषि निर्यात को नई पहचान दिलाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।

अंतरराष्ट्रीय बाजार की ओर उत्तराखंड

दुबई के लिए गढ़वाली सेब की यह पहली खेप एक आशाजनक शुरुआत है। इस परीक्षण से शीत श्रृंखला प्रबंधन, फसल-उपरांत संचालन और लॉजिस्टिक ढांचे को मजबूत बनाने में मदद मिलेगी। एपीडा और उत्तराखंड सरकार के संयुक्त प्रयासों से आने वाले समय में अधिक किसानों के समूह लाभान्वित होंगे तथा निर्यात गंतव्य दक्षिण-पूर्व एशिया और यूरोप तक विस्तारित किए जाने की संभावना है।

कृषि-निर्यात में विविधता

भारत सरकार लगातार कृषि-निर्यात टोकरी में विविधता लाने और गढ़वाली सेब जैसे क्षेत्रीय उत्पादों को वैश्विक बाजार तक पहुँचाने पर जोर दे रही है। सरकार किसानों की आय बढ़ाने के लिए जैविक खेती, मूल्य संवर्द्धन और उच्च मूल्य वाले बाजारों में प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों के निर्यात को प्रोत्साहित कर रही है। उत्तराखंड से बासमती चावल, मोटे अनाज, राजमा, मसाले, सुगंधित पौधे, शहद, कीवी, लीची और विभिन्न सब्जियों जैसे उत्पादों के निर्यात में अपार संभावनाएं मौजूद हैं।

एपीडा का रोडमैप

यह खेप एपीडा के व्यापक निर्यात रोडमैप का हिस्सा है। भविष्य में प्राधिकरण का ध्यान बाजरे, मोटे अनाज, जैविक उत्पादों, दलहनों, खट्टे फलों, कीवी, जड़ी-बूटियों और औषधीय पौधों पर केंद्रित रहेगा। किसानों और निर्यातकों को बेहतर सहयोग देने के लिए एपीडा जल्द ही देहरादून में क्षेत्रीय कार्यालय स्थापित करने जा रहा है। साथ ही राज्य के उत्पादों की वैश्विक पहचान बढ़ाने के लिए जैविक प्रमाणन और जीआई टैगिंग की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी।

एपीडा ने लुलु समूह के साथ समझौता ज्ञापन भी किया है, जिसके तहत उत्तराखंड-विशिष्ट उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय खुदरा श्रृंखलाओं में निर्यात परीक्षण किया जाएगा।

सतत खेती की दिशा में पहल

एपीडा देहरादून स्थित सेंटर फॉर एरोमैटिक प्लांट्स के सहयोग से वृक्षारोपण अभियान भी चला रहा है। पौड़ी जिले में 2,200 तिमरू के पौधे लगाए गए हैं, जिससे सतत खेती और भविष्य के निर्यात की संभावनाएं मजबूत होंगी।

वित्त वर्ष 2024–25 में पूरे भारत से एपीडा-निर्धारित उत्पादों का निर्यात ₹2,43,004.89 करोड़ रहा, जिसमें उत्तराखंड का योगदान ₹201 करोड़ का रहा। अब तक राज्य से मुख्य रूप से गुड़, कन्फेक्शनरी और ग्वारगम का निर्यात किया गया है, जबकि ताजे फल, मोटे अनाज और जैविक उत्पाद नए क्षेत्रों के रूप में तेजी से उभर रहे हैं।

गढ़वाली सेब की वैश्विक पहचान

देवभूमि उत्तराखंड की विविध कृषि-जलवायु परिस्थितियाँ उच्च गुणवत्ता वाली बागवानी फसलों के लिए आदर्श हैं। पौड़ी गढ़वाल की पहाड़ियों में उगने वाला किंग रोट सेब अपने कुरकुरेपन, स्वाद और प्राकृतिक मिठास के लिए प्रसिद्ध है। एपीडा किसानों को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप प्रशिक्षण देकर उन्हें वैश्विक खरीदारों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए तैयार कर रहा है।

garhwali apple
किंग रोट सेब पौड़ी गढ़वाल) Uttarakhand Apple)

यह ऐतिहासिक उपलब्धि न केवल पौड़ी गढ़वाल के सेब उत्पादकों के लिए गर्व का विषय है, बल्कि उत्तराखंड को भारत की कृषि-निर्यात टोकरी का एक महत्वपूर्ण योगदानकर्ता बनाने की दिशा में भी एक बड़ा कदम है।

विनोद सिंह गढ़िया

ई-कुमाऊँ डॉट कॉम के फाउंडर और डिजिटल कंटेंट क्रिएटर हैं। इस पोर्टल के माध्यम से वे आपको उत्तराखंड के देव-देवालयों, संस्कृति-सभ्यता, कला, संगीत, विभिन्न पर्यटक स्थल, ज्वलन्त मुद्दों, प्रमुख समाचार आदि से रूबरू कराते हैं। facebook youtube x whatsapp

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