Pushkar Kumbh: चमोली में 12 वर्ष बाद शुरू हुआ पुष्कर कुम्भ, श्रद्धालुओं का उमड़ा सैलाब।

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Pushkar Kumbh: उत्तराखंड माणा गांव के केशव प्रयाग में 12 साल बाद शुरू हुआ पुष्कर कुंभ, श्रद्धालुओं का उमड़ा सैलाब। 

मुख्यमंत्री धामी बोले – पुष्कर कुंभ 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' की भावना का प्रतीक

चमोली, 15 मई 2025 — चमोली जनपद की सीमा पर बसे ऐतिहासिक माणा गांव के केशव प्रयाग में 12 वर्षों बाद एक बार फिर से पुष्कर कुंभ का शुभारंभ हो गया है। वैदिक परंपराओं और विधि-विधान के साथ शुरू हुए इस विशेष कुंभ मेले को लेकर पूरे क्षेत्र में धार्मिक उत्सव का माहौल है। आयोजन के चलते बदरीनाथ धाम से लेकर माणा गांव तक तीर्थयात्रियों की भारी भीड़ उमड़ रही है।

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पुष्कर कुंभ को लेकर जिला और पुलिस प्रशासन की ओर से तीर्थयात्रियों की सुविधा के लिए व्यापक इंतजाम किए गए हैं। जिलाधिकारी संदीप तिवारी ने बताया कि माणा गांव के पैदल मार्ग को बेहतर किया गया है और विभिन्न भाषाओं में साइनबोर्ड लगाए गए हैं ताकि देशभर से आने वाले श्रद्धालु आसानी से मार्ग समझ सकें। संगम तट पर एसडीआरएफ की तैनाती के साथ-साथ मार्ग में पुलिस बल भी तैनात किया गया है। प्रशासन की ओर से व्यवस्थाओं की नियमित मॉनीटरिंग के निर्देश भी जारी किए गए हैं।

मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने पुष्कर कुंभ को लेकर कहा, “हमारे तीर्थस्थल न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र हैं, बल्कि वे देश की सांस्कृतिक एकता का प्रतीक भी हैं। माणा गांव में आयोजित यह पुष्कर कुंभ उत्तर और दक्षिण भारत की आध्यात्मिक कड़ी को जोड़ रहा है। यह आयोजन ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की भावना को जीवंत करता है।”

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पुष्कर कुंभ हर 12 वर्ष में तब आयोजित होता है जब बृहस्पति ग्रह मिथुन राशि में प्रवेश करता है। इस समय अलकनंदा और सरस्वती नदियों के संगम पर स्थित केशव प्रयाग विशेष धार्मिक महत्व प्राप्त करता है। इस आयोजन में विशेष रूप से दक्षिण भारत के वैष्णव अनुयायी बड़ी संख्या में भाग लेते हैं।

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इतिहास और मान्यता की दृष्टि से माणा गांव का केशव प्रयाग अत्यंत महत्वपूर्ण है। कहा जाता है कि यहीं पर महर्षि वेदव्यास ने तप कर महाभारत की रचना की थी। वहीं, दक्षिण भारत के महान संत रामानुजाचार्य और माध्वाचार्य ने इसी स्थान पर मां सरस्वती से ज्ञान प्राप्त किया था। यही कारण है कि यह स्थल वैष्णव परंपरा के अनुयायियों के लिए विशेष आस्था का केंद्र बना हुआ है।

पुष्कर कुंभ का आयोजन धार्मिक आस्था, सांस्कृतिक विरासत और राष्ट्रीय एकता का अद्भुत संगम बनकर उभरा है। तीर्थयात्रियों के लिए यह केवल एक स्नान पर्व नहीं, बल्कि आध्यात्मिक ऊर्जा और सांस्कृतिक एकजुटता का गहरा अनुभव भी है।