उत्तराखंड के वित्तीय प्रबंधन की 16वें वित्त आयोग ने की सराहना।
देहरादून, 19 मई: उत्तराखंड दौरे पर आए 16वें वित्त आयोग के अध्यक्ष डॉ. अरविंद पनगढ़िया ने राज्य के वित्तीय प्रबंधन की सराहना की है। उन्होंने कहा कि विकासशील राज्यों में यदि राजकोषीय घाटा संतुलित है तो यह चिन्ता का विषय नहीं है, लेकिन इस घाटे को अनियंत्रित नहीं होने देना आवश्यक है।
आज सचिवालय स्थित मीडिया सेंटर में पत्रकारों से बातचीत करते हुए डॉ. पनगढ़िया ने कहा कि उत्तराखंड वित्तीय चुनौतियों के प्रति जागरूक राज्य है और वित्तीय अनुशासन का पालन करते हुए अपनी आमदनी बढ़ाने की दिशा में सही तरीके से कार्य कर रहा है। उन्होंने कहा कि राज्य की प्रति व्यक्ति आय राष्ट्रीय औसत से अधिक है और इसमें और वृद्धि की पूरी संभावनाएं मौजूद हैं।
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हिमालयी राज्यों की विशेष स्थिति पर दिया ध्यान
डॉ. पनगढ़िया ने कहा कि पूर्ववर्ती वित्त आयोगों ने भी हिमालयी राज्यों की विशिष्ट भौगोलिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए नीति-निर्धारण किया है। उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्यों के बीच कर बंटवारे की व्यवस्था एक संवैधानिक प्रक्रिया के तहत होती है, जिसे आयोग द्वारा सुझाए गए सूत्रों और विधियों के आधार पर लागू किया जाता है।
कर विभाजन के मापदंड किए स्पष्ट
कर विभाजन के लिए आयोग द्वारा अपनाए गए पैमाने साझा करते हुए डॉ. पनगढ़िया ने बताया कि:
- जनसांख्यिकी प्रदर्शन (कम प्रजनन दर): 12.5%
- आय का अंतर: 45%
- जनसंख्या व क्षेत्रफल: प्रत्येक 15%
- वन एवं पारिस्थितिकी: 10%
- कर एवं राजकोषीय प्रबंधन: 2.5%
उन्होंने यह भी कहा कि स्थानीय निकायों और पंचायतों के विकास के लिए बजट आवंटन में संपूर्ण विचार किया जाता है। हालांकि यह राज्यों पर निर्भर करता है कि वे उपलब्ध बजट का उपयोग किस प्रकार करते हैं।
आत्मनिर्भरता की दिशा में राज्य
वित्त आयोग अध्यक्ष ने उत्तराखंड के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि राज्य आर्थिक आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़ रहा है और इसमें केंद्र से अपेक्षित सहायता मिलती रहेगी। उन्होंने संकेत दिया कि आयोग राज्य की विकास संबंधी आवश्यकताओं और विशिष्टताओं को गंभीरता से समझ रहा है।
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