कुमाऊंनी लोक गायिका कमला देवी कोक स्टूडियो भारत में।

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Kamla Devi- Kumaoni Folk Singer

पहाड़ी लोक संगीत के लिए एक शुभ समाचार है। उत्तराखंड के बागेश्वर जिले की रहने वाली कमला देवी (Kamla Devi) चर्चित लाइव म्यूजिक शो कोक स्टूडियो (Coke Studio Bharat Session-2) में अपने सुरों से उत्तराखंड के लोक संगीत को नये मुकाम पर ले जायेंगी। वे इस शो में देश-विदेश के कलाकारों के बीच पहाड़ के लोक संगीत, जागर, राजुला मालूशाही, हुड़की बौल जैसी विधा से पूरे भारत ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण जगत को रूबरू करायेंगी।

कमला देवी (Kamla Devi) एक ऐसी उत्तराखंड की लोक गायिका हैं जो राजुला मालूशाही, जागर, हुड़की बौल, पतरौल गीत, झोड़ा-चांचरी, छपेली, भगनौल, शगुन गीत आदि लोक विधाओं में निपुण हैं लेकिन उचित मंच न मिल पाने के कारण आज भी गुमनामी का जीवन जी रही हैं। आज कोक स्टूडियो भारत उन्हें पारम्परिक पहाड़ी लोक संगीत को दुनिया तक पहुंचाने के लिए मंच प्रदान कर रहा है। वे आने वाले Coke Studio Bharat सीजन 2 में प्रतिभाग करेंगी। जिसकी सूचना कोक स्टूडियो भारत ने अपने फेसबुक पेज के माध्यम से दी है।

कौन हैं कमला देवी

कमला देवी बागेश्वर जिले के गरुड़ तहसील स्थित लखनी गांव की रहने वाली हैं। वे कुमाऊँ के लोक विधाओं की गायिका हैं। कमला देवी उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर राजुला मालूशाही, जागर, हुड़की बौल, न्यौली, झोड़ा-चांचरी, शकुन आंखर जैसी कई विधाओं को संजोये हुए हैं। इनके द्वारा गाया जाने वाला राजुला मालूशाही गीत काफी प्रसिद्ध है।

कमला देवी की लोक गायिकी

कमला देवी बताती हैं उन्होंने गायन की यह विधा अपने पिता से सीखी, जो जागर, हुड़िकया बोल, न्योली के कुशल गायक थे। उन्हीं से सुनकर वे इस विधा को आगे ले आई। कमला देवी ने करीब 15 साल की उम्र से मंचों पर गाना प्रारम्भ कर दिया था। सबसे पहले उन्होंने गाँवों में उन्होंने झोड़ा-चांचरी का गायन किया। उसके बाद इनके मन में अपनी इन लोक विधाओं के प्रति उत्सुकता जागी और राजुला मालूशाही, जागर , हुड़की बौल, पतरौल गीत, झोड़ा -चांचरी, छपेली, भगनौल, शकुन गीत गाने लगी।

मंचों पर गाने लगी न्योली, छपेली, हुड़की बौल

कमला देवी जब भवाली स्थित अपने चाय के ढाबे पर चांचरी गा रही थी, तब उनकी मुलाकात श्री शिरोमणि पंत से हुई। उन्हीं के मार्गदर्शन में उन्होंने विभिन्न कार्यक्रमों में अपनी प्रस्तुति दी। उनका पहला कार्यक्रम नैनीताल शारदोस्तव में हुआ। उसके बाद उन्होंने लखनऊ, दिल्ली, हैदराबाद, मुंबई के विभिन्न कार्यक्रमों में उत्तराखंड के लोक गीत न्योली, छपेली, हुड़की बौल का गायन किया।

लेकिन लोगों की अपनी इस अमूल्य लोक विधा के प्रति बेरुखी और उदासीनता के कारण कमला देवी को वह मंच नहीं मिल पाया जिसकी वे हकदार थीं। अब कोक स्टूडियो भारत अपने सीजन-2 में उन्हें एक उचित मंच प्रदान कर रहा है। जो उत्तराखंड के लोक संगीत के लिए सम्मान की बात है।

कोक स्टूडियो क्या है ?

कोक स्टूडियो टेलीविज़न पर चलने वाला एक लाइव म्यूज़िक शो है जो दुनिया भर के ऐसे उभरते कलाकरों को मंच प्रदान करता है जो अपनी सांस्कृतिक जड़ों को बरकरार रखते हुए संगीत के नए रूप को अपना रहे हैं। ये दुनिया भर में सराहा जाने वाला एक मंच है, जो हमेशा से लोक संगीत को प्रोत्साहित करता है।

Coke Studio जिसकी शुरुआत वर्ष 2008 में पाकिस्तान से की गई। ‘कोका कोला कंपनी’ के सहयोग से पेश होने के कारण इस कार्यक्रम का नाम कोक से शुरू होता है जो स्टूडियो आधारित है। इस शो कि सबसे बड़ी विशेषता है यहां संगीत की अलग-अलग विधाओं से जुड़े गायक मंच पर एक साथ गाते हैं, और बिना किसी काट छांट के इसकी फाइनल रिकॉर्डिंग और प्रसारण किया जाता है।

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भारत में कोक स्टूडियो की शुरुआत

भारत में कोक स्टूडियो का पहला संस्करण कोक स्टूडियो @MTV के नाम से भी जाना जाता है। शो का पहला सीज़न 17 जून 2011 को एमटीवी इंडिया पर शुरू हुआ था। सीजन 2 का प्रीमियर 7 जुलाई 2012 को एमटीवी इंडिया पर शाम 7 बजे और दूरदर्शन (डीडी नेशनल) पर रात 08:30 बजे हुआ था।

वहीं "कोक स्टूडियो भारत" का पहला सीज़न 7 फरवरी 2023 को प्रसारित होना शुरू हुआ था। कोक स्टूडियो भारत के दूसरे सीजन (Coke Studio Session-2) की तिथि जल्दी तय की जाएगी।


 उत्तराखंड की लोक गायिका कमला देवी से सुनिए पहाड़ी लोक गीत 

 Coke Studio Bharat में कमला देवी के राजुला मालूशाही, न्योली लोकगीत। (hillslive.in)