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कीवी की खेती कर नयी पहचान बनाई रिटायर्ड शिक्षक ने।

On: November 3, 2025 9:39 PM
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bhawan singh koranga

अक्सर देखा जाता है लोग रिटायरमेंट के बाद किसी अच्छे शहर में बस जाते हैं या अपने काम करने के दिन ख़त्म होने की धारणा लेकर घर में ही आराम करने लगते हैं परन्तु हमारे यहाँ कुछ ऐसे लोग भी हैं जो सरकारी नौकरी से निवृत्ति के बाद पुनः एक नयी कहानी लिख रहे हैं। आज हम बात कर रहे है उत्तराखण्ड के दूरस्थ जनपद बागेश्वर के शामा निवासी भवान सिंह कोरंगा की, जिन्होंने प्रधानाचार्य पद से सेवानिवृत्ति के बाद बागवानी में नई कहानी लिखनी शुरू कर दी है।

बागेश्वर के गाँधी इंटर कॉलेज शामा से वर्ष 2009 में प्रधानाचार्य पद से सेवानिवृत्ति होने के बाद भवान सिंह कोरंगा ने अपने गांव डाना (शामा) में कीवी की खेती (Kiwi Farming) करनी प्रारम्भ की और उच्च गुणवत्ता की कीवी उत्पादन कर एक कुशल बागवान के रूप में अपनी नयी पहचान बना ली है। उनके यहाँ 150 से 225 ग्राम तक की कीवी का उत्पादन हो रहा है। जिसका स्वाद भी पूरी तरह पकने पर बेमिसाल है। ये कीवी आकार और स्वाद में विदेशी कीवी से बेहतर है।

74 वर्षीय श्री कोरंगा अपने शिक्षण कार्य से निवृत्त होकर खेती बागवानी में रम गये हैं। वे शिक्षक रहे और अब उन्होंने अपनी सारी शिक्षण कला को कीवी के बगीचे में उतार दिया, नतीजतन उनका बगीचा लहलहा उठा। वे चौदह साल से कीवी का बगीचा तैयार कर रहे हैं। उनके पास इस समय लगभग 550 पेड़ों वाला कीवी का बगीचा है। जिसमें लगभग आधे पेड़/बेल पूरी तरह से फल देने लगे हैं। उनके पास ब्रूनो, हैवार्ड, मौन्टी प्रजाति की कीवी हैं। वे कीवी के फूल लगते समय परागण के लिए विशेष मेहनत करते हैं, इससे फलों की गुणवत्ता बढ़ जाती है।

हिमांचल के यूनिवर्सिटी ऑफ़ हॉर्टिकल्चर एण्ड फॉरेस्टरी से लिया प्रशिक्षण-

बागवान श्री कोरंगा ने कीवी के उत्पादन का प्रशिक्षण हिमांचल प्रदेश के सोलन स्थित डॉ यशवंत सिंह परमार यूनिवर्सिटी ऑफ़ हॉर्टिकल्चर एण्ड फॉरेस्टरी से प्राप्त किया तथा सोलन कृषि एवं बागवानी विश्व विद्यालय के विशाल राणा जी के दिशा-निर्देश में ही पूरा बगीचा तैयार किया ।

600 से 700 प्रति क्रेट के हिसाब से बिक रही है कीवी –

वर्तमान में उनके बगीचे में 100 कुन्टल कीवी का उत्पादन होने का अनुमान है। दिल्ली और लखनऊ के आड़ती सीधे उनके बगीचे से माल उठा रहे हैं। श्री कोरंगा ने कीवी पैकेजिंग बेहतर गुणवत्ता के साथ कर रहे हैं। आजकल वे प्रतिदिन 50- 60 क्रेट कीवी स्थानीय सवारी वाहनों से हल्द्वानी मण्डी भेज रहे हैं। हल्द्वानी में उनकी उच्च गुणवत्तायुक्त कीवी की तीन किलो की क्रेट (30 कीवी) 600 से 700 रूपये में बिक रही है। जबकि भवाली मण्डी में सामान्य कीवी 30 से 80 रूपये किलो तक बिक रही है। भवाली, रामगढ़, मुक्तेश्वर, द्वाराहाट आदि क्षेत्रों के कीवी उत्पादक अपनी फसल की मार्केटिंग को लेकर परेशान हैं।

अब कीवी की नर्सरी भी बनाई, पूर्वोत्तर राज्यों को भी जा रही है कीवी की पौध –

अब बागवान श्री कोरंगा ने कीवी की नर्सरी भी बनाई है। इन पौधों को उत्तराखण्ड के अलावा पूर्वोत्तर के राज्यों में भी भेजा जा रहा है। वे कीवी का जैम और जूस बनाकर भी स्थानीय बाजार में बेच रहे हैं।

74 वर्षीय भवान सिंह कोरंगा पहाड़ के बागवानों के लिए एक मिसाल हैं और उन लोगों के लिए भी, जो ये कहते हैं दूरस्थ पहाड़ी इलाके में कुछ नहीं हो सकता।

Vinod Singh Gariya

ई-कुमाऊँ डॉट कॉम के फाउंडर और डिजिटल कंटेंट क्रिएटर हैं। इस पोर्टल के माध्यम से वे आपको उत्तराखंड के देव-देवालयों, संस्कृति-सभ्यता, कला, संगीत, विभिन्न पर्यटक स्थल, ज्वलन्त मुद्दों, प्रमुख समाचार आदि से रूबरू कराते हैं।

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