Inter College Pothing | कहने को इंटर कॉलेज, शिक्षक सिर्फ तीन।
उत्तराखंड (बागेश्वर) | कपकोट ब्लॉक स्थित पोथिंग के ग्रामीणों के लिए वह एक ख़ुशी का पल था जब गांव के हाइस्कूल को इंटरमीडिएट की मान्यता प्राप्त हुई। ग्रामीणों को उम्मीद थी कि अब उनके बच्चों को मीलों पैदल चलकर दूसरे विद्यालयों का रुख नहीं करना पड़ेगा। उनके घर के पास ही उन्हें पढ़ाई के लिए अच्छा माहौल प्राप्त होगा, साथ ही समय और धन की बचत होगी। जो लोग बेटी को आगे की पढ़ाई के लिए दूर भेजने में डरते थे वे अपनी बेटी को घर के पास ही पढ़ाई के लिए भेजेंगे। लेकिन ये सिर्फ एक सपना था, क्योंकि कपकोट ब्लॉक का राजकीय इंटर कॉलेज पोथिंग इस समय शिक्षकों की राह ताक रहा है। विद्यालय में लंबे समय से शिक्षकों का टोटा बना हुआ है। वर्तमान में यह विद्यालय सिर्फ LT के 3 शिक्षकों के भरोसे चल रहा है। कक्षा 6 से लेकर 12वीं तक के करीब 200 बच्चों का भविष्य इन तीन शिक्षकों के हाथ में है। विद्यालय में प्रधानाचार्य और लिपिक के पद भी रिक्त चल रहे हैं। हां अवश्य विद्यालय को गांव के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्वर्गीय मथुरा दत्त जोशी जी के नाम कर दिया है।
Inter College Pothing (Bageshwar) |
सरकारी विद्यालयों में शिक्षा सुधार के दावे हर बार हवाई ही साबित होते हैं। राजकीय इण्टर कॉलेज पोथिंग इन्हीं दावों की हकीकत बयां करता है। इस विद्यालय में पोथिंग के दूणी, सिलपाड़ा, शोभाकुंड, मातोली, उच्छात, भटौड़ा, बिनाड़ी आदि तोकों के अलावा जगथाना, बीथी, तोली आदि गांवों के बच्चे भी पढ़ने को आते हैं। विद्यार्थियों और शिक्षकों की मेहनत से इस वर्ष यहाँ हाइस्कूल का परीक्षाफल करीब 78 प्रतिशत रहा है, लेकिन सफल विद्यार्थियों को अब अपने भविष्य की चिंता सताने लगी है। शिक्षकों की कमी को देखते हुए अब दर्जनों छात्र-छात्राएं दूसरे विद्यालयों में एडमिशन करने लगे हैं, जो पोथिंग गांव के विभिन्न तोकों से करीब 15 से 20 किलोमीटर दूर हैं। इस बीच कई बच्चों और अभिभावकों की नाराजगी देखने को मिली। उनका कहना था अपने गांव में विद्यालय होते हुए भी उन्हें घर से मीलों दूर पढ़ाई के लिए जाना पड़ रहा है, जिससे उनकी पढ़ाई का समय आने-जाने में ही खर्च हो रहा है, साथ ही अभिभावकों पर अतिरिक्त आर्थिक भार पड़ रहा है। बरसात में इन बच्चों का इतनी दूर घर से पढ़ने जाना किसी जोखिम से कम नहीं है। अब विद्यालय में आर्थिक रूप से कमजोर परिवार के विद्यार्थी ही पढ़ने को मजबूर हैं। शिक्षकों की कमी इन गरीब बच्चों के भविष्य को अंधकारमय बना रही है। प्रतिस्पर्धा के इस दौर में बच्चों के भविष्य से इस प्रकार का खिलवाड़ देश की प्रगति में बाधक होगा।
अभिभावक कई बार शिक्षा विभाग और जन प्रतिनिधियों से शिक्षकों की कमी के बारे में अवगत करा चुके हैं लेकिन आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिल पाया।
आखिर बच्चों के भविष्य से ऐसा खिलवाड़ कब तक होते रहेगा ?
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Education System collapse in Uttarakhand
Education System in Uttarakhand.
उत्तराखण्ड की शिक्षा व्यवस्था।