इतिहास पर्यटन सामान्य ज्ञान ई-बुक न्यूज़ लोकगीत जॉब लोक कथाएं लोकोक्तियाँ व्यक्ति - विशेष विदेश राशिफल लाइफ - साइंस आध्यात्मिक अन्य

प्रसव के लिए लकड़ी के स्ट्रेचर में प्रसूता को लेकर 22 किमी पैदल चले कुंवारी के ग्रामीण।

On: July 29, 2018 4:30 PM
Follow Us:
उत्तराखंड | बागेश्वर जनपद स्थित कपकोट तहसील के अंतिम गाँव कुंवारी में रहने वाली गर्भवती महिला अनीता देवी की दुखद दास्तां मजबूर कर देती है सोचने के लिए। 24 जुलाई को प्रसव पीड़ा में अनीता देवी को गाँव वालों ने लकड़ी के दो डंडों में चादर लपेटकर बनाया गया अस्थाई स्ट्रेचर में लिटा कर 22 किमी पैदल का सफर कुमाऊं से गढ़वाल तीन दिन में पहुँचे। कुवांरी गाँव से जिला मुख्यालय आने वाले सभी रास्ते बंद पड़े हैं। एक मात्र पैदल रास्ता चमोली जिला का खुला है। गाँव वाले पीड़िता को इसी रास्ते 3 दिन में देवाल अस्पताल पहुंचे लेकिन वहां भी कोई व्यवस्था नहीं मिली। फिर चमोली जिले के थराली के अस्पताल पहुंचे, वहां 27 जुलाई को बच्चे को जन्म दिया। जच्चा बच्चा दोनों स्वस्थ्य हैं। अभी गाँव में अन्य छः महिलाएं भी गर्भवती हैं। सरकार और शासन- प्रशासन अभी तक कुंवारी गाँव के इन आपदा पीड़ितों के लिए कोई प्रभावी कदम नहीं उठा पाया है।

महिलाओं के लिए चलाई जा रही योजनाएं कुंवारी गांव के लिए नहीं हैं। जिला प्रशासन गांव के लोगों की अनदेखी कर रहा है। वर्षों से कुंवारी गांव आपदा का दंश झेल रहा है, आपदा प्रभावितों के पुनर्वास के लिए सरकार अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठा पाई। जनपद को जोड़ने वाले रास्ते अभी बंद पड़े हैं। गांव में कुछ और महिलाएं भी गर्भवती हैं। उन्हें भी समुचित उपचार नहीं मिल पा रहा है।“- किशन सिंह दानू ( ग्राम प्रधान कुंवारी)

कुंवारी गांव की गर्भवती महिलाओं को कपकोट शिफ्ट करने के निर्देश दिए थे। यदि इसमें गड़बड़ी हुई है तो संबंधितों के विरुद्ध कार्रवाही होगी।” – रंजना राजगुरु (जिलाधिकारी बागेश्वर)



कुंवारी गांव की प्रसूता को लकड़ी के स्ट्रेचर पर लिटाते हुए।
कपकोट के सामाजिक कार्यकर्ता हरीश कपकोटी का कहना है वर्तमान में बागेश्वर जिले में 200 से ज्यादा स्वयंसेवी संस्थाएं हैं। लेकिन इन आपदा पीड़ितों की सहायता के लिए किसी ने कदम नहीं बढ़ाया है। इस समय बागेश्वर के सभी गांव आपदा की मार झेल रहे हैं, सरकार के द्वारा किये जा रहे प्रयास नाकाफी हैं।
इस साल 9 जुलाई को पहली बरसात में ही आपदा का दंश झेल रहा कपकोट, अभी तक सरकार ने कोई राहत सामग्री और बचाव कार्य के लिए कोई प्रभावी उपाय किये हैं। कई गांवों का जन सम्पर्क टूट चुका है। वहां के लोग डरे सहमे जी रहे हैं। ना वहां दूरसंचार, ना वहां खाने पीने की सुविधा, ना वहां स्वास्थ्य की सुविधा, ना ही कोई रोजगार की व्यवस्था। कैसे वहां के ग्रामीण अपना दिनचर्या चला रहे होंगे आप भी सोचने के लिए मजबूर हो जायेंगे। केंद्र और प्रदेश सरकार को यहाँ के लोगों के लिए भी विकास कार्य करने चाहिए।

वीडियो – https://youtu.be/J5oJg56Y0k0

पूरा लेख पढ़ने के लिए कृपया उपरोक्त शीर्षक पर टैप करें या https://www.eKumaon.com पर जाएँ।

Vinod Singh Gariya

ई-कुमाऊँ डॉट कॉम के फाउंडर और डिजिटल कंटेंट क्रिएटर हैं। इस पोर्टल के माध्यम से वे आपको उत्तराखंड के देव-देवालयों, संस्कृति-सभ्यता, कला, संगीत, विभिन्न पर्यटक स्थल, ज्वलन्त मुद्दों, प्रमुख समाचार आदि से रूबरू कराते हैं।

Join WhatsApp

Join Now

Join Telegram

Join Now

Leave a Comment